
आस्था का महासंगम: पानापुर लंगा में 36 घंटे के निर्जला व्रत से छठ मईया की वंदना, उमड़ा श्रद्धा का सैलाब..
प्रकृति और सूर्य उपासना का चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा वैशाली जिला के हाजीपुर प्रखंड अंतर्गत पानापुर लंगा,वार्ड संख्या 05 में अलौकिक छटा बिखेरते हुए संपन्न हुआ। आस्था, तपस्या और पवित्रता के इस पर्व में छठ व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन 'निर्जला' उपवास रखकर छठी मईया और भगवान भास्कर की आराधना की, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठा।
इसी दौरान गांव की स्थानीय महिला छठ व्रती गुंजन पाण्डेय ने छठ की महिमा बताते हुए कहा, कि छठ पूजा मात्र एक त्योहार नहीं यह पुर्न आस्था और विश्वास का पर्व है। इसमें पूर्ण शुद्धता के साथ निर्जला उपवास रखकर व्रत किया जाता है। सच्ची निष्ठा से व्रत करने पर छठी मईया सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करतीं हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी यह बात इस पर्व के प्रति स्थानीय लोगों की अटूट श्रद्धा को दर्शाती है।
उन्होंने बताया कि चार दिन के इस पावन अनुष्ठान की शुरुआत 'नहाए-खाए' के साथ हुई। दूसरे दिन 'खरना' के दिन व्रति सुबह से ही निर्जला उपवास रख कर संध्याकाल में खीर-रोटी और केले से पूजा करते हैं और अपने परिवार जनों को प्रसाद ग्रहण कराते हैं।
पर्व का सबसे हृदयस्पर्शी क्षण तीसरे दिन हो जाता है ,जब व्रति जल में खड़े होकर, डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देती है जिसमें बाँस के सूप और दौरा में ठेकुआ, केला और मौसमी फलों को सजाकर अर्घ्य देने का यह दृश्य मानो समय को थाम लेता है। वहीं, चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने और छठ कथा सुनने के बाद व्रति अपना कठिन व्रत संपन्न करती हैं।
इस त्योहार की सबसे बड़ी सुंदरता यह है कि यह लोगों को दूर-दूर से अपनी जड़ों की ओर खींच लाता है। छठ पूजा मनाने के लिए गाँव से बाहर रहने वाले लोग भी सपरिवार अपने घर पहुँचते है, जिससे गाँवों में अपार रौनक और उल्लास छा जाता है। पूरे सौहार्दपूर्ण माहौल में यह पर्व मनाया जाता है, जिससे सामाजिक समरसता का अद्भुत संदेश देखने को मिलता है।
वहीं गुंजन पाण्डेय के द्वारा अपने निवास पर छठ पूजा करने के इस पुनीत अवसर पर शिक्षिका सुजाता कुमारी, शिल्पी पाण्डेय,शाण्वि दुवे, ईशिता दुवे,मंगल पाण्डेय, आरती पाण्डेय, ऋषि पाण्डेय, श्वाति पाण्डेय भाग लेने पहुंचे। साथ में स्थानीय सहदेव पाण्डेय, मनीष पाण्डेय, सलोनी पाण्डेय, आरव पाण्डेय सहित अनेक लोगों ने घाटों पर व्यवस्था और पूजा-पाठ में सहयोग दिया। इसी के साथ सभी ने छठी मईया से समाज में सद्भावना और समृद्धि के लिए प्रार्थना किया और उसके बाद व्रत की समाप्ति कर आपस में एक दूसरे को प्रसाद का वितरण कर उसे ग्रहण किया।