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डीएपी से अधिक प्रभावी हैं वैकल्पिक उर्वरक

डीएपी से अधिक प्रभावी हैं वैकल्पिक उर्वरक

किसान भाईयों से अपील वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग कर बढ़ाएं पैदावार

किसान भाईयों के लिये डीएपी (डाय अमोनियम फास्फेट) के ऐसे वैकल्पिक उर्वरक उपलब्ध हैं, जिनमें डीएपी से कहीं अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अधिकारियों को डीएपी के विकल्पों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए हैं, जिससे जिले के किसान भाई इन उर्वरकों का उपयोग अपनी फसलों में कर सकें। जिले के किसान भाईयों से अपील की गई है कि वे डीएपी के बजाय वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग कर अधिक पैदावार प्राप्त करें।

उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री आर एस जाटव ने बताया कि डीएपी के वैकल्पिक उर्वरक ग्वालियर जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिये किसान भाई डीएपी पर ही आश्रित न रहकर अन्य उर्वरकों का उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त करें। श्री जाटव ने बताया कि डीएपी में सिर्फ दो पोषक तत्व 18 प्रतिशत नत्रजन एवं 46 प्रतिशत फास्फोरस पाया जाता है, जबकि इसके वैकल्पिक उर्वरकों में इससे ज्यादा पोषक तत्व शामिल होते हैं।
जिले में वर्तमान में निजी एवं सहकारी संस्थाओं को मिलाकर कुल 22 हजार 834 मैट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है। जिसमें 9 हजार 431 मैट्रिक टन यूरिया, 2 हजार 946 मैट्रिक टन डीएपी, 314 मैट्रिक टन एमओपी, 6 हजार 81 मैट्रिक टन एनपीके व 4 हजार 152 मैट्रिक टन एसएसपी शामिल है।

यह हैं डीएपी के विकल्प

पहला विकल्प – किसान भाई यूरिया + सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कर सकते हैं। एक बोरी डीएपी के स्थान पर 20 किलोग्राम यूरिया एवं तीन बोरी सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का उपयोग किया जा सकता है। एसएसपी में 16 प्रतिशत फास्फोरस, 12.5 प्रतिशत सल्फर व 21 प्रतिशत कैल्शियम पाया जाता है।

दूसरा विकल्प – एक बोरी डीएपी के स्थान पर एनपीके (12:32:16) का उपयोग किया जा सकता है। इसमें 12 प्रतिशत नत्रजन, 32 प्रतिशत फास्फोरस व 16 प्रतिशत पोटास पाया जाता है।

तीसरा विकल्प – डीएपी के स्थान पर कॉम्प्लेक्स (20:20:0:13) का उपयोग भी प्रभावी रहता है। इसमें 20 प्रतिशत नत्रजन, 20 प्रतिशत फास्फोरस व 13 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। दलहनी फसलों में फसलों में सल्फर से प्रोटीन व तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा बढ़ जाती है।

अन्य विकल्प – डीएपी के अन्य विकल्प के रूप में एनपीके 14:28:14, 14:35:14, 10:26:26, 15:15:15: एवं एनपीके 16:16:16 का उपयोग भी अत्यंत कारगर रहता है।

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