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आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रही हैं स्वयंसिद्धा समूह की महिलाऍं

आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रही हैं “स्वयंसिद्धा” समूह की महिलाएँ

महिलाओं को प्रोत्साहित करने पहुँचीं कलेक्टर श्रीमती चौहान

स्वयंसिद्धा महिलाओं की कहानी : लगन, मेहनत और आत्मनिर्भरता की प्रतीक बनी है

स्वयंसिद्धा स्व-सहायता समूह से जुड़ीं ग्वालियर जिले की महिलाओं ने अपने आत्मविश्वास, लगन और मेहनत के दम पर वह मुकाम हासिल कर चुकी हैं, जिसकी अपेक्षा हर महिला करती है। इन महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जो अन्य समूहों और महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।

कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने सोमवार को ग्वालियर शहर में स्व-सहायता समूह की 100 से अधिक महिलाओं के बीच पहुँचकर उनकी सफलता की कहानियाँ सुनीं और उनके कार्यों की सराहना की। उन्होंने स्वयंसिद्धा समूह की प्रमुख श्रीमती महिमा तारे एवं महिलाओं से आत्मनिर्भर बनने की यात्रा के अनुभव साझा करने को कहा। साथ ही उन्हें निरंतर प्रगति करने के लिए प्रेरित किया।

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने कहा कि स्वयं सहायता समूह केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का सशक्त आधार हैं। इन महिलाओं ने साबित किया है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले तो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी सफलता की नई ऊँचाइयाँ छू सकती हैं। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने महिलाओं से कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में समूह का भी एक फेसबुक पेज तैयार किया जाए, जिस पर समूह की गतिविधियों को आमजनों के लिये प्रदर्शित की जायें।

मेहनत और एकजुटता से बदली तस्वीर

स्वयंसिद्धा समूह की महिलाएं पहले अपने परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही थीं, लेकिन आज वे अपनी मेहनत से स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार कर रही हैं । इन उत्पादों में अगरबत्ती, खाद्य उत्पाद, हस्तनिर्मित वस्त्र आदि। इन उत्पादों की बिक्री से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि आत्मसम्मान और सामाजिक पहचान भी बढ़ी है।

महिलाओं ने बताया कि समूह के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण, ऋण सुविधा और विपणन सहायता मिली, जिससे उनके कार्य को गति मिली। कई महिलाएं अब अन्य समूहों को भी प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बना रही हैं।

प्रेरणा और प्रोत्साहन

कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर ने कहा कि जिला प्रशासन महिलाओं की हर पहल में सहयोग करेगा और उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “स्वयंसिद्धा” जैसी पहलें “आत्मनिर्भर भारत” के स्वप्न को साकार करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं ने कलेक्टर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासनिक समर्थन और विश्वास ने उनके आत्मविश्वास को दोगुना कर दिया है। अब वे केवल अपने परिवार ही नहीं, बल्कि समाज में भी परिवर्तन लाने का संकल्प लिए हुए हैं।

यह कहानी उन महिलाओं की है जिन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि हर कठिनाई को सीढ़ी बनाकर सफलता की राह तय की। "स्वयंसिद्धा" अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल बन चुका है।

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