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“बापू के घर की छाया में उठा इतिहास का सवाल ..............

विशेष संवाददाता | ऐतिहासिक अन्वेषण रिपोर्ट:
“बापू के घर की छाया में उठा इतिहास का सवाल — हरिलाल का धर्म परिवर्तन और मनु प्रकरण पर विवाद फिर गर्म”(किताबों और लेखों में दर्ज दावों ने फिर खोला गांधी परिवार का एक अनछुआ अध्याय)

भारत के ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी के बड़े पुत्र हरिलाल गांधी को लेकर समय-समय पर नए विवाद उभरते रहे हैं। कुछ ऐतिहासिक पुस्तकों और शोधपरक लेखों में दर्ज दावे बताते हैं कि हरिलाल ने 1936 में इस्लाम स्वीकार किया था और अपना नाम अब्दुल्लाह गांधी रखा था।इन दावों के अनुसार, धर्म परिवर्तन के बाद परिवारिक मतभेद बढ़े और गांधी परिवार के भीतर कई नैतिक व सामाजिक प्रश्न उठे। पुस्तक ‘वेद वृक्ष की छाया तले’ (लेखक: फरहाना ताज) और कुछ जीवनीपरक लेखों में यह उल्लेख मिलता है कि हरिलाल पर इस्लाम का प्रभाव बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी नाबालिग बेटी मनु के साथ अनुचित व्यवहार किया — ऐसा दावा किया गया है, जिसका कोई प्रमाणिक न्यायिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्रसंग वर्षों से जनचर्चा का हिस्सा बना हुआ है। कस्तूरबा गांधी द्वारा बेटे को पत्र लिखने, आर्य समाज की शरण में जाकर “शुद्धि संस्कार” करवाने और बाद में हरिलाल के दोबारा हिंदू धर्म में लौटने जैसे प्रसंग भी इन पुस्तकों में दर्ज हैं।इतिहासकारों का मत है कि ऐसे प्रसंगों पर पूर्ण विश्वास करने से पहले मूल दस्तावेज़, पत्राचार और उस दौर के अख़बारों का अध्ययन ज़रूरी है। गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में भी पारिवारिक संघर्षों की झलक मिलती है, परन्तु इन विवादित प्रसंगों का सीधा उल्लेख नहीं।

🔍 स्रोत / संदर्भ (लेखों में उल्लिखित)
1. “वेद वृक्ष की छाया तले” — फरहाना ताज
2. “मेरे सत्य के प्रयोग” — महात्मा गांधी
3. आर्य समाज मुंबई अभिलेख (1936) — पुन: धर्म-दीक्षा आयोजन
4. स्वतंत्र शोध आलेख — M.M. सिंह (उद्धृत विवरण)

इतिहास के इन अध्यायों को न श्रद्धा से न घृणा से, बल्कि प्रमाण और सत्यापन की दृष्टि से पढ़ना ही आज के भारत की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि बापू की विरासत सिर्फ़ गांधी की नहीं — बल्कि भारत की आत्मा का आईना है।

✍️ — महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल

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