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भोपाल बना हादसों का शहर: कोलार रोड पर हर दिन मौत से मुठभेड़, रफ्तार ने फिर ली कई जिंदगियों को खतरे में:


भोपाल।
सड़कें चमकीली लेकिन ज़मीन पर मौत का खेल, ट्रैफिक व्यवस्था बेअसर — कब सुधरेगा भोपाल का ट्रैफिक सिस्टम?
राजधानी भोपाल अब अपनी खूबसूरती या झीलों के लिए नहीं, बल्कि लगातार बढ़ते सड़क हादसों के लिए सुर्खियों में है। शहर की सड़कें या तो इतनी बेहतर हैं कि तेज रफ्तार जानलेवा बन जाती है, या इतनी खराब कि गड्ढे ही हादसों का कारण बन रहे हैं। हाल ही में कोलार रोड पर मदर टेरेसा स्कूल के सामने हुई भीषण भिड़ंत ने एक बार फिर इस हकीकत को सामने ला दिया है कि भोपाल अब धीरे-धीरे “हादसों का शहर” बनता जा रहा है। कल शाम हुई इस भीषण दुर्घटना में एक Hyundai Creta और एक Maruti Celerio कार आमने-सामने भिड़ गईं, जिसमें दोनों वाहनों का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। हादसा इतना भयानक था कि मौके पर मौजूद लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। गनीमत यह रही कि सभी सवार गंभीर रूप से घायल तो हुए, लेकिन स्थानीय लोगों की तत्परता से अस्पताल पहुँचाए जाने पर सबकी जान बच गई। ट्रैफिक सिस्टम फेल, पुलिस सिर्फ चालान तक सीमित-भोपाल की ट्रैफिक व्यवस्था की हालत चिंताजनक है। शहर के ज्यादातर चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं दिखता। यदि कहीं पुलिस मिल भी जाए, तो वे अधिकतर चालान काटने में व्यस्त रहते हैं। एक पुलिसकर्मी के अनुसार — “हमें रोज़ाना चालान का टार्गेट दिया जाता है, उसी पर काम करना पड़ता है।”अब सवाल यह उठता है कि जब ट्रैफिक व्यवस्था सिर्फ चालान तक सीमित है, तो सड़क सुरक्षा का जिम्मा आखिर किसके पास है?
कोलार रोड — 6 लेन बनी, लेकिन हादसों की पट्टी भी-कोलार रोड को शहर की सबसे आधुनिक सड़कों में गिना जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि जबसे इसे 6 लेन बनाया गया है, तबसे यह रोड हादसों का हॉटस्पॉट बन चुका है।स्थानीय लोगों का कहना है कि “ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब इस सड़क पर कोई हादसा न हो।”तेज रफ्तार, बिना सिग्नल के मोड़, और ओवरटेकिंग की होड़ ने इस मार्ग को मौत की पट्टी बना दिया है।

जनता भी जिम्मेदार — समय की दौड़ में भूल रहे हैं जिंदगी का मूल्य-आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग अपनी मंज़िल तक जल्दी पहुँचने के लिए रफ्तार का सहारा ले रहे हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि तेज़ी कभी मंज़िल नहीं दिलाती, सिर्फ़ हादसे का रास्ता दिखाती है।प्रशासन की लापरवाही और नागरिकों की जल्दबाज़ी — दोनों मिलकर भोपाल की सड़कों को हर दिन और खतरनाक बना रहे हैं।

ज़रूरी है — तुरंत और ठोस कदम:
1. कोलार रोड और अन्य प्रमुख मार्गों पर स्पीड कंट्रोल ज़ोन और CCTV निगरानी लागू की जाए।
2. हर चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस की नियमित ड्यूटी सुनिश्चित हो।
3. सड़क की मरम्मत, गड्ढों का पटाव और मोड़ों पर संकेतक बोर्ड लगाए जाएँ।
4. जन-जागरूकता अभियान शुरू कर नागरिकों को “रफ्तार घटाओ, ज़िंदगी बचाओ” का संदेश दिया जाए।

भोपाल के हर नागरिक, चालक और अधिकारी को अब यह समझना होगा कि सड़क सुरक्षा सिर्फ़ कानून नहीं, ज़िम्मेदारी है।कल के हादसे की तस्वीरें चेतावनी हैं — अगर हमने अब नहीं संभला, तो अगला हादसा किसी अपने के दरवाज़े पर दस्तक दे सकता है।
✍️ — महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल


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