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सीएचसी खमरिया में बिना अनुमति गुलर के पेड़ कटवाने का मामला, जिलाधिकारी के संज्ञान में आने पर हरकत में आए अधिकारी

(लखीमपुर खीरी)। धौरहरा रेंज के अंतर्गत थाना खमरिया क्षेत्र स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) खमरिया में सरकारी संपत्ति की अवैध बिक्री का मामला उजागर हुआ है। बताया जा रहा है कि सीएचसी परिसर में लगे लाखों रुपये मूल्य के गुलर के पेड़ों को एक ठेकेदार के माध्यम से कटवाया जा रहा था, जबकि इसके लिए किसी स्तर से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

सूत्रों के मुताबिक, इन सरकारी पेड़ों की बिक्री से प्राप्त धनराशि सरकारी खजाने में जमा करने के बजाय निजी जेबों में पहुंचाने का खेल चल रहा था। ग्रामीणों द्वारा विरोध और अधिकारियों को सूचना देने के बाद यह मामला तूल पकड़ गया।

जानकारी के अनुसार, कटान को रोकने या कार्रवाई न होने के लिए एक व्यक्ति ने ठेकेदार से रकम ली थी, जिसके जिम्मे पूरी “सेटिंग” की जिम्मेदारी थी। बताया जाता है कि क्षेत्र में होने वाले अवैध कटानों से प्राप्त धन का यही व्यक्ति हिसाब रखता है और जरूरत पड़ने पर विभागीय स्तर पर सांठगांठ कर मामला दबवाने की कोशिश करता है।

तहसील धौरहरा, रेंजरी और थाना खमरिया — तीनों स्तरों पर सूचना दिए जाने के बावजूद प्रारंभिक दौर में किसी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया। अंततः मामला जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी के संज्ञान में आने के बाद प्रशासन हरकत में आया।

वन विभाग की टीम, जिसमें डिप्टी रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड शामिल थे, मौके पर पहुंची। टीम ने ट्रैक्टर–पटियाला सहित कुछ लकड़ी को कब्जे में लेकर थाना खमरिया में सुपुर्द किया, जबकि शेष लकड़ी अभी स्थल पर ही पड़ी है। इस बीच ठेकेदार, मजदूर लकड़ी काटने वाले उपकरण लेकर मौके से फरार हो गए।

जब इस संबंध में जानकारी ली गई तो सीएचसी अधीक्षक ने सफाई देते हुए कहा कि “लकड़ी को केवल किनारे करवाया जा रहा था, बाद में रिपोर्ट भेजी जानी थी।” वहीं, उपजिलाधिकारी धौरहरा ने बताया कि “मामले की जानकारी जुटाई जा रही है, जांच पूरी होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”

ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि सरकारी संपत्ति की खुली लूट में शामिल सभी लोगों — चाहे वे ठेकेदार हों या संरक्षण देने वाले उन सभी के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाए।
सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद ठेकेदार व विक्रय में शामिल लोग अब मामले को संभालने की कोशिश में जुट गए हैं।

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