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एक मोहब्बत ऐसी भी...

आज बात अकरम अबु बकर की: फलस्तीन की जेल में 23 साल तक कैद में रहने के बाद रिहा होने वाले अकरम अबु बकर को इज़राइल में तीन बार की उम्र कैद की सज़ा सुना दी गई. यानी अब बाहर आने के सभी रास्ते बंद. अकरम अबु बकर ने इस दौरान अपनी बीवी को तलाक़ देने का फैसला किया. यह तलाक़ अपनी बीवी की बाकी जिन्दगी की खुशियों के लिए थी. लेकिन अकरम अबु बकर की बीवी ने तलाक़ के बाद भी अपनी शौहर को भूल नहीं पाई और दोबारा किसी से निकाह नहीं किया. इज़राइल और हमास में समझौते के बाद एक उम्मीद जगी और उन दो हजार कैदियों में अकरम अबु बकर का नाम भी शामिल था जिसे रिहा किया जाना था. अकरम अबु बकर की तलाक़ शुदा पत्नी को पता चला तो उन्होंने फौरन फलस्तीन से मिस्र की राजधानी काहेरा का सफर किया, जहां कैदियों को लाकर रिहा करना था. अपनी मोहब्बत को देखकर अकरम अबु बकर का जबरदस्त स्वागत किया. उस इमानदार पत्नी का सब्र कामयाब हुआ और एक बार फिर दोनों मिल सके. अकरम अबु बकर ने फौरन दुबारा निकाह की और दोनों एक बार फिर एक दुसरे के हो गये. सब्र, मोहब्बत, इंतज़ार और अल्लाह पर भरोसे का इससे बेहतरीन मिसाल नहीं हो सकता है. मौजूदा दौर में इस मोहब्बत का कोई मुकाबला नहीं हो सकता.

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