अयोध्या दीपोत्सव 2025: CM योगी ने खींचा प्रभु श्रीराम का रथ, माला पहनाकर किया भव्य राज्याभिषेक; रामनगरी में उतरा अद्भुत त्रेतायुग का दृश्य!
*अमन वर्मा सावंददाता बाराबंकी अयोध्या*
त्रेतायुग के जीवंत दर्शन से आलोकित हुई अयोध्या नगरी
अयोध्या : दीपोत्सव 2025 के शुभ अवसर पर अयोध्या एक बार फिर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भव्यता का साक्षी बना। रविवार की शाम जैसे ही सूर्यास्त हुआ, संपूर्ण रामनगरी दीपों की रौशनी में नहाकर ऐसे दमक उठी मानो स्वयं त्रेतायुग लौट आया हो। रामकथा पार्क में प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की दिव्य झांकी ने लाखों श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
पुष्पक विमान से अवतरित हुए राम-सीता, गूंजा जय श्रीराम
कार्यक्रम की शुरुआत उस क्षण से हुई, जब प्रतीकात्मक पुष्पक विमान ने रामकथा पार्क में अवतरण किया। श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ इस दृश्य का स्वागत किया। पूरा वातावरण वैदिक मंत्रोच्चारण, शंखनाद और पुष्पवर्षा से ऐसा पवित्र हो उठा मानो स्वयं देवता अयोध्या पधार गए हों।
मुख्यमंत्री योगी ने खींचा रथ, किया भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक
इस ऐतिहासिक दीपोत्सव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं भगवान श्रीराम का रथ खींचा। उनके साथ संत समाज और हजारों भक्त भी जयघोष करते हुए रथयात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी को माला पहनाई और आरती उतारी। इसके बाद गुरु वशिष्ठ की उपस्थिति में भगवान श्रीराम का प्रतीकात्मक राज्याभिषेक किया गया।
भक्ति, वैदिक परंपरा और आधुनिक आयोजन का अद्वितीय संगम
इस आयोजन में आध्यात्मिकता, परंपरा और प्रशासनिक कुशलता का अनूठा संगम देखने को मिला। पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था। रामकथा पार्क, राम की पैड़ी, धर्मपथ, लता चौक, हनुमानगढ़ी जैसे प्रमुख स्थल दीपों की पंक्तियों से जगमगा उठे। श्रद्धालु भक्ति गीत गाते, दीप जलाते और हर पल को अपने कैमरों में कैद करते दिखे।
संतों ने किया राम दरबार का पूजन, उपस्थित रहे कैबिनेट मंत्री
प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जयवीर सिंह और राकेश सचान ने राम दरबार की विधिवत पूजा-अर्चना की। मंच पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, अनेकों संत, महंत, सांसद-विधायक और भाजपा के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
भावविह्वल कर देने वाला भरत मिलाप का मंचन
दीपोत्सव का सबसे भावनात्मक क्षण वह था, जब मंच पर भरत मिलाप का दृश्य प्रस्तुत किया गया। जैसे ही श्रीराम के चरणों में भरत गिरते हैं और प्रभु उन्हें गले लगा लेते हैं, पूरा सरयू तट भक्ति में सराबोर हो गया। श्रद्धालु इस भावुक दृश्य को देखकर अश्रुपूरित हो उठे। कई लोगों ने कहा कि ऐसा लगा जैसे रामायण जीवंत हो उठी हो।
दीपों से आलोकित रामनगरी: देवताओं का अवतरण सा दृश्य
जैसे-जैसे अंधकार गहराया, अयोध्या के हर कोने से प्रकाश की लहरें उठने लगीं। दीपों की रेखाओं से सजी सड़कों, घाटों और मंदिरों ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया जिसे शब्दों में पिरोना कठिन है। ऐसा लग रहा था जैसे देवता स्वयं स्वर्ग से उतरकर अयोध्या को सजाने आए हों। लाखों श्रद्धालुओं ने इस दृश्य को न केवल आंखों में संजोया, बल्कि अपने दिल में भी अमिट रूप से बसा लिया अयोध्या बना विश्व के लिए दीपोत्सव का आदर्श मॉडल
दीपोत्सव 2025 ने न केवल रिकॉर्ड बनाए बल्कि एक वैश्विक मानक भी स्थापित किया। अयोध्या अब केवल आस्था का केंद्र नहीं बल्कि अनुशासन, स्वच्छता, संस्कृति और तकनीक के समन्वय का प्रतीक बन चुकी है। इस आयोजन ने साबित किया कि भारत की प्राचीन परंपराएं आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती हैं।
प्रभु श्रीराम की भव्य झांकी ने त्रेता युग को किया सजीव
रामकथा पार्क में स्वर्ण सिंहासन, विशाल रथ, सजीव अश्व, वेशभूषा में सजे पात्र और भव्य मंच सज्जा ने त्रेता युग की अनुभूति कराई। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के साथ आगे बढ़े, तो हजारों श्रद्धालु उनके साथ जय श्रीराम के उद्घोष करते हुए भक्ति में लीन हो गए।
कैमरों में कैद हुई अनमोल स्मृतियाँ
इस दीपोत्सव में भाग लेने आए श्रद्धालुओं ने अपने मोबाइल और कैमरों से हर पल को कैद किया। सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गईं। राम भक्तों ने इस आयोजन को “जीवन का सबसे शुभ क्षण” बताया।
9वां दीपोत्सव बना ऐतिहासिक और अद्वितीय
2017 से शुरू हुए अयोध्या दीपोत्सव का यह 9वां संस्करण था, लेकिन इसकी भव्यता ने सभी पिछली स्मृतियों को पीछे छोड़ दिया। एक ओर जहां भावनाओं की नदी बह रही थी, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक व्यवस्था की चाक-चौबंद सुरक्षा और साफ-सफाई ने भी आयोजन को सफल और स्मरणीय बना दिया।रामराज्य का जीवंत रूप बना अयोध्या दीपोत्सव
दीपोत्सव 2025 केवल एक कार्यक्रम नहीं था, यह एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा थी जिसने हर भक्त को रामराज्य की कल्पना नहीं बल्कि अनुभूति करवाई। मुख्यमंत्री योगी द्वारा स्वयं रथ खींचना, पूजन, आरती और राज्याभिषेक करना, यह सभी कार्य इस आयोजन को अत्यंत विशेष बनाते हैं