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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला—मसीह समाज को न्याय, केवल पीड़ित दर्ज कराएंगे धर्मांतरण FIR

**ब्रेकिंग न्यूज़: नई दिल्ली / राजेंद्र कुमार बैरवा ||
1. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश में मसीह समाज के खिलाफ दर्ज 6 में से 5 झूठी FIRs रद्द कर दीं, इसे "न्याय का मजाक" करार दिया।
2. कोर्ट ने UP अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम के तहत स्पष्ट किया कि केवल पीड़ित या उनके रिश्तेदार ही FIR दर्ज करा सकते हैं, तीसरा पक्ष नहीं।
3. यह फैसला देशभर के एंटी-कन्वर्जन कानूनों पर लागू, जिसमें राजस्थान का नया 'प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन बिल, 2025' भी शामिल है।
4. मसीह समाज को राहत: सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सहित कई ईसाई नेताओं को "मास कन्वर्जन" के झूठे आरोपों से क्लीन चिट।
5. कोर्ट ने कहा कि धार्मिक सभाएँ, प्रार्थना या चैरिटी कार्य अपराध नहीं; झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ FIR सहित सख्त कार्रवाई होगी।
6. राजस्थान में सितंबर 2025 में पारित धर्मांतरण कानून में भी अब सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन होगा।
7. यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) को मजबूत करता है, जिसे मसीह समाज ने "न्याय और सत्य की जीत" बताया।
8. मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में भी इस फैसले से झूठी शिकायतें रुकेंगी और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिलेगी।
9. कोर्ट ने कानून के दुरुपयोग पर चेतावनी दी, कहा—निर्दोषों को परेशान करने वाली FIRs बर्दाश्त नहीं होंगी।
10. मसीह समाज ने इसे पूरे देश में धार्मिक समानता और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए मील का पत्थर करार दिया।

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