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स्वदेशी के शस्त्र से हम विश्वव्यापार युद्ध में विजयी होंगे: सतेन्द्र सौरोत

*भारत में रोजगार वृद्धि और समृद्धि, स्वरोजगार और स्वदेशी में निहितः सतेन्द्र सौरोत*

कृष्ण कुमार छाबड़ा
पलवल-18 अक्टूबर

श्री सतेन्द्र सौरोत, उत्तर क्षेत्र सहसंयोजक स्वदेशी जागरण मंच ने स्वदेशी मेला पलवल में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व भर में बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए स्वदेशी जागरण मंच ने देशभर में स्वदेशी स्वावलंबन अभियान आरंभ किया है। जैसा कि हम जानते हैं कि चीन और अमेरिका को भारत की आर्थिक प्रगति बहुत ज्यादा खटक रही है। जहां एक ओर चीन अपने सस्ते माल की डंपिंग करके भारत के उद्योगों को ठप्प करना चाहता है वही अमेरिका भारत पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाकर अथवा भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर भारत की आर्थिक प्रगति को मंद करना चाहता है। भारत की जनता में इसके लिए बहुत मात्रा में प्रतिक्रिया हो रही है।

स्वदेशी जागरण मंच ने भी कहा है कि अमेरिका और चीन जैसे देश वास्तव में व्यापार नहीं करते अपितु व्यापार पुद्ध करते हैं और युद्ध भी ऐसा जिसमें कोई नियम ना हो। अतः ऐसे कुटिल विरोधियों का मुकाबला करने के लिए भारत को स्वदेशी की राह पर चलना होगा क्योंकि हमारे पास 145 करोड़ आबादी का बाजार है और हमारी अर्थव्यवस्था निर्यात आधारित न होकर स्वय की खपत आधारित है। हम यदि विदेशी कंपनियां के सामानों का बहिष्कार कर स्थानीय और स्वदेशी कंपनियों का सामान खरीदेंगे तो इससे हमारे पहां का उद्यम भी पनप पाएगा और युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न हुए हमारे हर पूवा को उद्यमिता का रास्ता अपनाना चाहिए और हर नागरिक को स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। यही ध्येय लेकर स्वदेशी जागरण मंच पूरे देश में जन जागरण अभियान चल रहा है जिसका नाम दिया गया है "स्वदेशी स्वावलंबी भारत अभियान"।

उन्होंने कहा कि हमने "चाहत से देशी, आवश्यकता से स्वदेशी और मजबूरी में ही विदेशी" इस मंत्र को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने डिजिटल शॉपिंग मॉल्स जैसे वॉलमार्ट और अमेज़न के माध्यम से देश के छोटे दुकानदारों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर चिंता व्यक्त की और सभी से आग्रह किया कि वे छोटे दुकानदारों से ही सामान खरीदें। साथ ही, उन्होंने बताया कि हर वर्ष चीन से लगभग 7000 प्रकार की शून्य तकनीक की वस्तुएं आपात की जाती हैं, जिनका बहिष्कार आवश्यक है। स्वदेशी के उपयोग में ही देश की सुरक्षा और स्वावलंबन की शक्ति निहित है। स्वदेशी स्वावलंबी अभियान केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा और स्वाभिमान से भी जुड़ा हुआ है।
सतेन्द्र सौरोत ने बताया कि अभियान के अंतर्गत अनेकों सामाजिक, व्यापारिक, औद्योगिक, किसान एवं श्रमिक संगठनों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है।

उन्होंने कहा की अधिकांश व्यापारियों और आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी के जो नए सुधारों की घोषणा की है उससे भारत के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा और इसके कारण से हम अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के कारण व्यापार घाटे की न केवल आसानी से क्षतिपूर्ति कर पाएंगे अपितु हम विश्व के अन्य अनेकों देशों में अपना सामान भेज पाएंगे। परंतु चीन की अर्थव्यवस्था निर्यात पर आधारित है, वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था निर्यात के साथ, डॉलर की कमाई और बौ‌द्धिक संपदा पर आधारित है। इस प्रकार हम इस व्यापार युद्ध में भी विजयी होंगे।

प्रधानमंत्री जी के लगातार स्वदेशी के आवाहन के कारण अब यह जन अभियान बन गया है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति यदि स्वदेशी खरीदेगा तो भारत की अर्थव्यवस्था में वार्षिक वृद्धि को 10% तक जाने से कोई नहीं रोक सकेगा।

भारत में रोजगार वृद्धि और समृद्धि इसी बात में निहित है कि भारत के युवा स्वरोजगार पर जाएं और आम जनमानस स्वदेशी अपनाएं। इसलिए हम फरीदाबाद सहित देश भर में स्वदेशी स्वावलंबन अभियान चला रहे हैं। जिसका हमें सभी स्थानों पर बहुत अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।

श्री सौरोत ने कहा कि हमारे मंच के कार्यकर्ता देश भर के सभी जिलों में स्वदेशी मेले लगा रहे हैं। विद्यालयों, महाविद्यालयों में विद्यार्थियों से लगातार मिल रहे हैं, बाजार में व्यापारियों से मिल रहे हैं और गली-मोहल्लों में जाकर जन सामान्य से मिल रहे हैं। जिससे कि लोगों में स्वदेशी के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो। देश भर के सभी प्रांतों में स्वदेशी संकल्प पात्राएं निकाल रहे हैं जिससे कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिले और भारतीय उद्योगों का व्यापार और उत्साह बढ़े।

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