logo

उत्सव शुरू,20 लाख दीयों से जगमगाएगी दिवाली, बाजारों में छाई रौनक

*उत्सव शुरू : 20 लाख दीयों से जगमगाएगी दिवाली, बाजारों में छाई रौनक*
*सज गई दीपकों की दुकानें, बिक्री ने पकड़ा जोर*

खैरथल / हीरालाल भूरानी
शहर और आसपास के क्षेत्रों में दीपावली पर्व की तैयारियां चल रही हैं। शहर के बाजारों रौनक छाई हुई है। इसी बीच शहर के कुंभकार समाज के लोग भी दिन-रात जुटकर मिट्टी के दीपक बना रहे हैं। अनुमान है कि इस बार शहर में करीब 20 लाख से अधिक मिट्टी के दीपक जलाकर दिवाली मनाई जाएगी।
हरसौली, मुंडावर, पेहल, किशनगढ़बास, मातौर समेत अन्य इलाके में इन दिनों चाक की थाप लगातार गूंज रही है। कुंभकार समाज के कारीगर सुबह से लेकर देर रात तक दीपक व मटकियां बनाने, सुखाने और पकाने में व्यस्त हैं, लेकिन इस परंपरागत कला में अब कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं, फिर भी कुंभकारों को उम्मीद है कि इस बार त्योहार से पहले बिक्री में तेजी आएगी और उनके घरों में भी दिवाली की रोशनी पहले से अधिक चमकेगी।

*महंगाई और मांग में में कमी से आमदनी कम हुई*
कुंभकार गज्जी प्रजापत बताते है कि दीपक बनाने के लिए काली और पीली मिट्टी को मिलाकर उपयोग किया जाता है। मिट्टी की कीमत लगातार बढ़ रही है, जिससे लागत भी बढ़ गई है। एक ट्रॉली मिट्टी 7 से 8 हजार रुपए तक की पड़ती है, जिसे हम मुंडावर और कोटकासिम से लाते हैं। वहीं, लालचंद प्रजापत का कहना है कि वे मिट्टी हिण्डोली से मंगवाते हैं। उनका कहना है कि मिट्टी के दीपक 10 रुपए में 10 के हिसाब से बेचे जाते हैं, लेकिन महंगाई और मांग में कमी के कारण आमदनी पहले जैसी नहीं रही।

*मिट्टी के दीपक पर्यावरण के अनुकूल*
कुछ कुंभकारों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बाजार में टेराकोटा और इलेक्ट्रॉनिक दीपकों के आने से मिट्टी के दीपकों की बिक्री प्रभावित हुई है। लोग अब सजावटी टेराकोटा के दीये खरीदने लगे हैं, जिससे पारंपरिक मिट्टी के दीपकों की मांग घट गई है। फिर भी, दीपावली पर मिट्टी के दीपक की अपनी अलग ही पहचान है। पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण इनकी मांग अब भी समाज के एक बड़े वर्ग में बनी हुई है।

6
18 views