
विकास से कोसों दूर विकास नगर.
नगर पालिका विकास नगर व ब्लॉक कर्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा
। विकासनगर (देहरादून जिला, उत्तराखंड) जैसे शहर में, जहां नाम ही "विकास" का है, सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, सीवर चोक हैं, कूड़े के ढेर जगह-जगह बिखरे हैं, और हल्की बरसात में पूरा इलाका झुमरी तिलैया जैसा जलमग्न हो जाता है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत शिकायत नहीं, बल्कि पूरे शहर की हकीकत है। आपने सही कहा—टैक्स के पैसे की बंदरबांट हो रही है, ठेकेदारों और नेताओं का गठजोड़ आम आदमी की जिंदगी दांव पर लगा रहा है। "डबल इंजन सरकार" का नारा यहां दम तोड़ रहा है, जहां दुर्घटनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। आइए, इस मुद्दे को थोड़ा गहराई से देखें और समाधान के रास्ते तलाशें।
विकासनगर की सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की दयनीय स्थिति
सड़कें गड्ढों का अड्डा: कैनाल रोड, कोतवाली रोड और नगर पालिका के ज्यादातर वार्डों (जैसे वार्ड नंबर 18) की सड़कें वर्षों से जर्जर हैं। बरसात के बाद भी मरम्मत नहीं होती, बल्कि नई बनी सड़कें ही उखड़ने लगती हैं। स्थानीय निवासी दमयंती भट्ट जैसी महिलाओं ने शिकायत की है कि पानी की पाइपलाइन बिछाने के नाम पर सड़कें खोदी जाती हैं, लेकिन ठीक नहीं होतीं।पिछले 25 सालों से कई इलाकों में सड़कें नहीं बनीं, और अमृत योजना जैसे प्रोजेक्ट्स ने उल्टा नुकसान पहुंचाया है।
सीवर और स्वच्छता का बुरा हाल: अधिकांश नालियां चोक हैं, जिससे हल्की फुहार में पानी सड़कों पर बहता है। कूड़े के ढेर पार्कों और वार्डों में आम हैं। हाल ही में डाकपत्थर की खादर बस्ती में ट्रंचिंग ग्राउंड (कचरा निपटान स्थल) के खिलाफ स्थानीयों ने प्रदर्शन किया, क्योंकि दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल हो गया है।नगर पालिका ने अवैध ठेलों के खिलाफ अभियान चलाया, लेकिन बुनियादी सफाई पर ध्यान कम है।
स्कूली बच्चे और राहगीरों की परेशानी: छोटे बच्चों को स्कूल जाते वक्त गड्ढों से जूझना पड़ता है, जो दुर्घटनाओं को न्योता देता है। यह समस्या ग्रामीण-शहरी दोनों क्षेत्रों में फैली है, जहां ब्लॉक स्तर पर भी विकास ठप है।
भ्रष्टाचार का काला साया: ठेकेदारों-नेताओं का गठजोड़
आपने सही पकड़ा—क्षेत्रीय नेता और ठेकेदारों का "स्नेह" विकासनगर को डुबो रहा है। टैक्स के पैसे (जो सरकार के खाते में जाते हैं) की जमकर लूट हो रही है।
बंदरबांट की हकीकत: सड़कें बनते ही खराब होना कोई संयोग नहीं। एक X पोस्ट में कहा गया कि सड़कें जल्दी खराब होती हैं ताकि दोबारा ठेका मिले और पैसे का चक्र घूमे
विकासनगर में भी यही पैटर्न दिखता है—नई सड़कें 1-2 साल में उखड़ जाती हैं।
नगर पालिका का रोल: यह भ्रष्टाचार का केंद्र बनी हुई है। संपत्ति कर इकट्ठा करने के बावजूद, फंड्स का इस्तेमाल सड़कों, नालियों और पार्कों की मरम्मत में नहीं होता। टाउन एरिया कमेटी से नगर पालिका बने 50 साल हो चुके, लेकिन सुधार की गति धीमी है निकाय चुनावों में वादे तो बड़े होते हैं, लेकिन 5 साल इंतजार करवाते