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सहारनपुर महानगर के बाजार कराह रहे जाम से, व्यवस्था चरमराई |

सहारनपुर की तेजी से बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के कारण बाजारों में जाम की समस्या बढ़ रही है। त्योहारों के समय यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस... तेजी से बढ़ती आबादी और वाहनों की बढ़ती संख्या के बीच महानगर के बाजारों की हालत जाम की वजह से बद से बदतर होती जा रही है। महानगर की आबादी लगभग 10 लाख के करीब पहुंच चुकी है। हर दिन घंटों लगने वाला जाम न केवल लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी सिर दर्द बनता जा रहा है। करवा चौथ का त्योहार गुजर चुका है और अब धनतेरस, दीपावली और भैया दूज की आहट के साथ बाजारों में रौनक लौटने लगी है। रोशनी के पर्व की तैयारियों में बाजार सज गए हैं, लेकिन इस चकाचौंध के बीच जाम की समस्या व्यापार के रफ्तार को थामे हुए नजर आ रही है।
महानगर के प्रमुख बाजारों में घंटाघर चौक, नेहरू मार्केट, प्रताप मार्केट, लोहानी, सराय, शहीद गंज, नखासा बाजार, सर्राफा बाजार, हलवाई अट्टा, रानी बाजार, लोहा बाजार, रायवाला बाजार, अंबाला रोड, रेलवे स्टेशन रोड, देहरादून चौक, नवाबगंज चौक, हिरन-मारान और गौरी शंकर बाजार में रोजाना जाम आम बात हो गई है। इन बाजारों की सड़कों पर सुबह से शाम तक वाहन, ई-रिक्शा और पैदल चलने वालों की लंबी कतारें दिखाई देती हैं। त्योहार के दिनों में तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। घंटाघर चौक से लेकर नेहरू मार्केट तक का मात्र आधा किलोमीटर का रास्ता पार करने में कभी-कभी आधा घंटा लग जाता है। अतिक्रमण के कारण सड़कें और भी संकरी हो गई हैं। दुकानों के बाहर सामान सजाकर बैठने वाले व्यापारी और ठेला लगाने वाले सड़क का आधा हिस्सा घेर लेते हैं। नतीजतन ई-रिक्शा और ऑटो के बीच से गुजरने के लिए गाड़ियों को मशक्कत करनी पड़ती है। त्योहारों के मौसम में जब बिक्री बढ़ने की उम्मीद रहती है, तब जाम व्यापारियों के लिए सिरदर्द बन जाता है। ग्राहकों को दुकानों तक पहुंचने में परेशानी होती है, जिससे बिक्री प्रभावित होती है। नेहरू मार्केट के एक दुकानदार बताते हैं, हर साल त्योहारों पर हमको यही परेशानी झेलनी पड़ती है। ग्राहक जाम में फंसकर वापस लौट जाते हैं। नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी सिर्फ देखने आते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाते। सर्राफा बाजार के व्यापारी कहते हैं, सोने-चांदी की खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्राहक को गाड़ी खड़ी करने की जगह नहीं मिलती, तो वह खरीदारी करने से पहले ही वापस चला जाता है। इससे व्यापार पर असर पड़ता है। सहारनपुर एक ऐतिहासिक और तेजी से विकसित हो रहा शहर है। लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था की अव्यवस्था इसके विकास को बाधित कर रही है। यदि प्रशासन, नगर निगम और पुलिस विभाग समन्वय बनाकर काम करें, तो इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। आने वाले दिनों में दीपावली की भीड़ को देखते हुए प्रशासन को अभी से सतर्कता बरतनी होगी। बाजारों को जाम मुक्त करने के लिए जरूरी है कि जनता भी सहयोग करे अतिक्रमण न करे, जहां-तहां वाहन न खड़े करे और ट्रैफिक नियमों का पालन करे। तभी सहारनपुर के बाजारों में फिर से वह रफ्तार लौटेगी, जिसके लिए यह शहर जाना जाता है। बस अड्डे की कमी से बढ़ी अव्यवस्था सहारनपुर जैसे बड़े शहर में अब तक कोई स्थायी बस अड्डा न होना भी जाम की एक प्रमुख वजह है। वर्तमान में जीपीओ रोड, अंबाला रोड और देहरादून चौक के आसपास बसें खड़ी होती हैं। यात्रियों को चढ़ाने-उतारने के दौरान सड़क पर बसों की लंबी कतार लग जाती है, जिससे ट्रैफिक ठप हो जाता है। सुबह और शाम के समय बसों का यह जमावड़ा पूरे मार्ग को अवरुद्ध कर देता है। स्थानीय निवासी बताते हैं, शहर के बीचोंबीच बसें खड़ी रहने से जाम तो लगता ही है, साथ ही दुर्घटनाओं की संभावना भी बनी रहती है। प्रशासन को तुरंत एक नया बस अड्डा बनाना चाहिए ताकि शहर की सड़कों से बसों का दबाव कम हो सके। ई-रिक्शा और ऑटो की अव्यवस्था महानगर में ई-रिक्शा और ऑटो की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन उनके लिए कोई निर्धारित स्टैंड या रूट तय नहीं किया गया है। शहर के मुख्य बाजारों में हर चौराहे और तिराहे पर ई-रिक्शा खड़े मिल जाते हैं, जिससे सड़क पर जाम लग जाता है। ट्रैफिक पुलिस ने कुछ क्षेत्रों में रूट निर्धारित किए हैं, लेकिन उनका पालन न के बराबर होता है। अधिकांश ई-रिक्शा चालक अपनी मर्जी से किसी भी रास्ते से गुजरते हैं। संकरी गलियों में इनके प्रवेश से हालात और बिगड़ जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार ई-रिक्शा जहां चाहें, वहीं रुक जाते हैं। नतीजा यह होता है कि पीछे पूरी लाइन लग जाती है। प्रशासन को सख्ती से तय करना चाहिए कि कहां ई-रिक्शा चलेंगे और कहां नहीं। पार्किंग की समस्या सहारनपुर के मुख्य बाजारों में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं है। लोग अपनी गाड़ियां जहां जगह मिलती है, वहीं खड़ी कर देते हैं। इससे सड़कों पर अव्यवस्था और बढ़ जाती है। कुछ जगहों पर अस्थायी पार्किंग बनाई गई है, लेकिन त्योहारों के समय वहां भी जगह नहीं मिलती। लोहा बाजार के व्यापारी राकेश मक्कड़ का कहना है, यदि नगर निगम बाजारों के पास मल्टीलेवल पार्किंग या खाली प्लॉट में अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था करे, तो बहुत हद तक जाम की समस्या कम हो सकती है।” अतिक्रमण बना बड़ी चुनौती अतिक्रमण शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की रीढ़ तोड़ चुका है। दुकानदारों ने फुटपाथों तक कब्जा कर लिया है, वहीं ठेले और रेहड़ी लगाने वालों ने सड़कों का हिस्सा घेर रखा है। नगर निगम द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है, लेकिन कुछ ही दिनों बाद स्थिति फिर वैसी ही हो जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है। कोई स्थायी समाधान नहीं निकल रहा। जब तक लगातार निगरानी नहीं होगी, तब तक बाजारों की सड़कों को राहत नहीं मिलेगी। समस्याएं -मुख्य बाजारों में जाम की समस्या -महानगर में बस अड्डा नहीं है, जीपीओ रोड, अंबाला रोड पर खड़ी होती हैं बसें -महानगर में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं हैं -महानगर में ई-रिक्शा, ऑटो स्टैंड नहीं है, सड़कों पर खड़े होते हैं -महानगर में अतिक्रमण की समस्या है -ई-रिक्शा के लिए निर्धारित रूट का पालन नहीं हो रहा है सुझाव -महानगर के सभी बाजारों में ट्रेफिक व्यवस्था की जाए -संकरे बाजारों में ई-रिक्शा पर रोक लगाई जाए -महानगर में जल्द से जल्द बस अड्डे का निर्माण कराया जाए -ई-रिक्शा, ऑटो के लिए स्टैंड बनाया जाए -अतिक्रमण के खिलाफ नियमित रुप से अभियान चलाया जाए -ई-रिक्शा के रुट का सख्ती से पालन कराया जाए प्रतिक्रियाएं शहर में जाम की स्थिति काफी गंभीर है। जाम के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, स्कूली बच्चों और मरीजों को उठानी पड़ती है। यातायात के नियमों के सख्ती से पालन करने से जाम की स्थिति में सुधार हो सकता है। नवाब गंज चौक से हिरन-मारान बाजार तक जाम की स्थिति बनी रहती है। त्योहार के दिनों में जाम की स्थिति गंभीर हो जाती है। त्योहार तक नो-एंट्री के समय को भी बढ़ाया जाए। रायवाला बाजार की गिनती पश्चित उप्र के सबसे बड़े कपड़ा बाजार में होती है। रायवाला बाजार का प्रताप नगर चौक सबसे अधिक जाम की समस्या से जूझ रहा है। यहां पर नियमित रुप से ट्रेफिक पुलिस की व्यवस्था की जाए। जाम की समस्या के समाधान के लिए ई-रिक्शाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जानी चाहिए। विशेषकर त्योहार के दिनों में नियम सख्ती से लागू होने चाहिए। सराफा बाजार शहर की धड़कन है। जाम के चलते बाजार में व्यापारी आने से करताने लगा है। वो दूसरे बाजारों का रुख कर रहा है। ई-रिक्शा के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।हिरन-मारान बाजार में हौजरी का थोक और रिटेल दोनों प्रकार का कारोबार होता है। जाम के कारण व्यापार में नुकसान उठाना पड़ता है। जाम की समस्या के समाधान के लिए दालमंडी पुल पर पार्किंग बनाई जाए।हिरण -मारान बाजार में दूसरे जिलों और राज्यों से कारोबारी आते हैं। जाम के चलते काफी समय खराब होता है। जाम की समस्या के समाधान के लिए शहर में मल्टीस्टोरी पार्किंग बनाई जानी चाहिए। सहारनपुर की आबादी करीब दस लाख तक पहुंच गई है। सहारनपुर की गिनती स्मार्ट सिटी में होती है। लेकिन जाम के मामले में अभी काफी सुधार की आवश्यता है।लोहा बाजार ऐतिहासिक बाजार है। बाजार में दूसरे जिलों से व्यापारी खरीददारी के लिए आते हैं। बाजार में पूरे दिन जाम की स्थिति रहती है। विशेषकर त्योहार के समय स्थिति काफी गंभीर हो जाती है। रायवाला बाजार में दूसरे राज्यों व जिलों से व्यापारी आते हैं। जाम की समस्या के कारण बाजार की छवि धूमिल होती है और व्यापार प्रभावित होता है। सहारनपुर पूरी तरह से तब तक स्मार्ट सिटी नहीं बन सकता, जब तक जाम की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो जाता। ई-रिक्शा के रुट का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए।शहर के कई बाजारों में जाम की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। खासकर पुराने शहर के बाजारों में स्थिति ज्यादा खराब है। जाम की समस्या के समाधान के लिए अतिक्रमण पर कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है।

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