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दिपावली की फीकी रौनक

दीपावली के कुछ दिन बाकि लेकिन ना बाजार मे कोई हलचल है. ना कपडे की, ना घरेलु चीज़ो, ना फटाके. ये बात हर साल ज्यादा बढ़ती है, व्यापारी की पूरी गिनती उलटी पडती,
सडक, गटर का कांट्रेक्ट उन लोगो का विकास हो रहा है, विकास आम जनता का नहीं हो रहा, सब्जी क्या बनाये, भाव Dry Fruit जितने होते है.
जनता की आवाज नहीं होती, चीज़े कम खरीद कर मन मना लेती है.

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