
खनन पट्टों में हेराफेरी पर कलेक्टर सख्त — जीआरटीसी की मनमानी पर मांगी गई जांच रिपोर्ट, खनिज विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल
डिंडौरी -- तहसील बजाग के ग्राम शिवरी में डिंडौरी–अमरकंटक हाईवे पर गौर रोड तारकोल प्रा. लि. द्वारा संचालित क्रेशर प्लांट में चल रही मनमानी पर अब कलेक्टर अंजू पवन भदौरिया ने सख्त रुख अपनाया है।
कलेक्टर ने पत्र क्रमांक /स्थापना/2025/819 डिंडौरी, दिनांक 13/10/2025 के माध्यम से खनिज अधिकारी को निर्देशित किया है कि “मौके पर जाकर पूर्व जांच प्रतिवेदन तत्काल उनके समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।”
विकास कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर खनन खेल -- सूत्रों के अनुसार, जिले में कुछ नामचीन कंपनियाँ विकास कार्यों की आड़ में अवैध खनन का जाल बिछा रही हैं। कभी खेत सुधार, तो कभी तालाब निर्माण के नाम पर विस्फोटकों से पत्थर निकालकर आसपास के क्रेशर प्लांटों में गिट्टी तैयार की जा रही है। यही गिट्टी बाद में निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होती है।
जानकारों का कहना है कि संबंधित कंपनी पहले भी जिले के विभिन्न हिस्सों में राजस्व को भारी नुकसान पहुँचा चुकी है, जिसकी अब तक ठोस जांच नहीं हुई।
खनिज विभाग की भूमिका संदिग्ध -- सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब तत्कालीन कलेक्टर ने खनिज अधिकारी को तीन दिनों में जांच रिपोर्ट देने के मौखिक निर्देश दिए थे, तो अब तक रिपोर्ट प्रस्तुत क्यों नहीं की गई?
नवागत कलेक्टर के पदभार ग्रहण करने के बाद भी खनिज अधिकारी ने “आज-कल रिपोर्ट प्रस्तुत करने” की बात कहकर मामला लटकाए रखा।
अब जब कलेक्टर भदौरिया ने लिखित रूप से रिपोर्ट तलब की है, तो यह साफ हो गया है कि विभागीय स्तर पर कहीं न कहीं जानबूझकर देरी और लीपापोती की कोशिशें की जा रही थीं।
कब समाप्त हुआ पट्टा, और कब दी गई स्वीकृति? -- दस्तावेजों की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि खनन पट्टा 2 जून 2025 को समाप्त हो गया था, जबकि 2 जुलाई 2025 को नवीनीकरण का आवेदन दिया गया।
सवाल यह है कि स्वीकृति आखिर कब और कितने समय के लिए दी गई?
यदि केवल दो माह की स्वीकृति दी गई थी तो यह सूचना सार्वजनिक पटल पर प्रदर्शित क्यों नहीं की गई?
इस पूरे प्रकरण में खनिज विभाग द्वारा चलाई गई नोटशीट, आवक-जावक पंजी और स्वीकृति पत्रों की जांच आवश्यक बताई जा रही है।
पारदर्शिता से दूरी क्यों? -- खनिज अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अधिकारी मीडिया
मे संवाद से बच रहे हैं, न तो स्पष्ट जवाब दे रहे हैं और न ही मामले मे कोई स्पष्ट जानकारी।
कलेक्टर भदौरिया की सख्ती के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि खनन माफियाओं और विभागीय मिलीभगत पर प्रशासनिक शिकंजा कस सकता है।