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परिवहन विभाग विकास नगर क्षेत्र में किसी बड़ी घटना के इंतजार मे

परिवहन विभाग की लापरवाही: ओवरलोड वाहनों का कहर, पछवादुन हादसों का शहर बना
पछवादुन/ विकास नगर 14 अक्टूबर 2025: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में परिवहन विभाग की लापरवाही आम जनता की जान पर बन रही है। ओवरलोड और अनियंत्रित गति से दौड़ते कमर्शियल वाहन 'यमराज' का रूप धारण कर चुके हैं, जो बेतहाशा रफ्तार में सड़कों पर घूम रहे हैं। इनकी वजह से क्षेत्र में दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अधिकतर वाहनों पर न तो नंबर प्लेट लगी है और न ही फिटनेस सर्टिफिकेट। सूत्रों के मुताबिक, इसके पीछे 'सुविधा शुल्क' का काला खेल चल रहा है, जो जनता की जान जोखिम में डाल रहा है।
पछवादुन ( विकास नगर ) को पिछले कई वर्षों से 'हादसों का शहर' कहा जाता रहा है। यहां की घुमावदार और संकरी सड़कें, जहां ओवरलोड पिकअप वाहन पहाड़ों की ओर बिना किसी रोक-टोक के दौड़ते हैं। विकास नगर से पर्वतीय क्षेत्रों की ओर जाने वाले इन वाहनों की छत पर सवारियां लटकाकर ले जाई जा रही हैं, जो हादसों का प्रमुख कारण बन रही हैं। हाल ही में जनवरी 2025 में पौड़ी गढ़वाल के दहलचौड़ी क्षेत्र में एक बस के खाई में गिरने से 6 लोगों की मौत हो गई और 22 घायल हुए। जांच में पाया गया कि ड्राइवर की लापरवाही तो थी ही, लेकिन वाहन की फिटनेस और ओवरलोडिंग की जांच परिवहन विभाग ने ठीक से नहीं की थी।इसी तरह, दिसंबर 2024 में अल्मोड़ा के निकट एक ओवरलोड बस हादसे में 36 लोगों की जान गई, जहां 43 सीटर बस में 62 यात्री सवार थे। इस घटना के बाद पौड़ी और अल्मोड़ा के सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (ARTO) को निलंबित किया गया, लेकिन क्या इससे सबक लिया गया?
रात के अंधेरे में शिमला बायपास रोड पर सैकड़ों ट्रक और डंपर स्टंटबाजी करते नजर आते हैं। इनकी बेताबी रफ्तार से आम राहगीरों की जान पर बन रही है। जनवरी 2025 में शिमला की एक संकरी सड़क पर एक तेज रफ्तार ट्रक अनियंत्रित हो गया और चार कारों से टकरा गया, जिससे दो लोगों की मौत हो गई। वीडियो फुटेज में साफ दिखा कि ट्रक ड्राइवर ने ब्रेक लगाने की कोशिश भी नहीं की। इसी तरह, अगस्त 2023 में शिमला के चaila बाजार के निकट एक सेब से लदा ट्रक पलट गया, जिसमें दो लोग कुचलकर मर गए और चार अन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में ओवरलोडिंग और स्पीडिंग ही 80% हादसों का कारण है
देहरादून के सेलाकुई कैंप रोड पर स्थिति और भी खराब है। यहां डग्गामार बसें उत्तराखंड सरकार के टैक्स की चोरी करते हुए बरेली-आगरा की सवारियों को ले जा रही हैं। जिम्मेदार विभागों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। परिवहन सिंडिकेट समय-समय पर अधिकारियों को 'मलाई' भेजता है, जिसके चलते चेकिंग नाममात्र की होती है। जब भी पर्वतीय क्षेत्रों में कोई हादसा होता है, तो ARTO परिवर्तन दल देहरादून मुख्य मार्ग पर 'झिंगा मस्ती' करते दिखते हैं। खानापूर्ति के बाद दफ्तर में कुर्सियां तोड़ते नजर आते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं।
परिवहन विभाग पर यक्ष प्रश्न: अखिल ARTO प्रशासन किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार क्यों कर रहा है? अब तक हुई घटनाओं से सबक क्यों नहीं ले रहा? 2018 में पौड़ी गढ़वाल के एक हादसे में 48 लोगों की मौत हुई, जब एक 28-सीटर बस में 60 यात्री सवार थे।
उसके बाद भी ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगी। 2019 में देहरादून में ही डंपर-संबंधी हादसों में 32 मौतें हुईं, जिनमें शिमला बायपास पर एक 15 वर्षीय लड़की की मौत शामिल थी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल के हादसों पर रिपोर्ट मांगी है और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं, लेकिन क्या यह कागजी कार्रवाई से आगे बढ़ेगी?
सुधार के उपाय: विशेषज्ञों का सुझाव है कि परिवहन विभाग को सख्त चेकिंग अभियान चलाना चाहिए, वाहनों में स्पीड गवर्नर लगवाना अनिवार्य हो, और ड्राइवरों की ट्रेनिंग पर जोर देना चाहिए। साथ ही, पहाड़ी सड़कों पर CCTV और इंटरसेप्टर वाहनों की तैनाती बढ़ानी होगी। जनता की सुरक्षा के लिए अब समय आ गया है कि 'सुविधा शुल्क' का काला बाजार खत्म हो और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए। अन्यथा, ये 'यमराज' वाहन और कितनी जानें लीलेंगे?

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