
सैलरी में देरी से भड़के कर्मचारी — टीमलीज़ कंपनी के खिलाफ विद्युत विभाग परिसर में लंबा धरना, नाराज़गी गहरी और मांगें सख्त
सैलरी में देरी से भड़के कर्मचारी — टीमलीज़ कंपनी के खिलाफ विद्युत विभाग परिसर में लंबा धरना, नाराज़गी गहरी और मांगें सख्त
मुरैना (मध्य प्रदेश)।
मुरैना के विद्युत विभाग परिसर में मंगलवार को टीमलीज़ कंपनी (Team Lease) के काफी संख्या में कर्मचारियों ने व्यापक धरना दिया। यह धरना केवल एक-दो घंटे का विरोध नहीं था, बल्कि कर्मचारियों की वर्षों से बढ़ती नाराज़गी और आर्थिक कठिनाइयों का नतीजा है — जो अब सार्वजनिक प्रदर्शन में बदल चुकी है। कर्मचारियों ने एकजुट होकर कंपनी से बकाया वेतन के तुरन्त भुगतान और भविष्य में वेतन के समय पर निर्बाध भुगतान की पुख़्ता गारंटी की मांग रखी है।
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घटना का पूरा क्रम — किसने क्या कहा और कब हुआ
सुबह के शुरुआती घंटों में कर्मचारियों का एक बड़ा समूह विद्युत विभाग परिसर (पता: विद्युत विभाग परिसर, मुरैना) पर इकट्ठा हुआ और शांतिपूर्ण धरना शुरू किया। प्रदर्शन में साइट इंचार्ज तोशिब खान, साइट सुपरवाइज़र रंजीत यादव, साइट इंजीनियर राज्जी खान, तथा साइट इंजीनियर निशाद प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी द्वारा वेतन की शेड्यूल तिथि 7 तारीख है, पर कई माह से वेतन समय पर नहीं मिल रहा है। हर माह की तय तारीख गुजर जाने के बावजूद कंपनी की ओर से न तो भुगतान हुआ और न ही किसी प्रकार की आधिकारिक सूचना दी गई।
धरने पर मौजूद एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम रोज़-रोज़ काम करके अपने परिवार पालते हैं। बच्चों की फीस, दवाइयों और राशन के भुगतान के लिए वेतन पर निर्भर हैं। बार-बार पूछने पर सिर्फ़ आश्वासन मिलता है, पर असल भुगतान नहीं होता।”
-现场 पर कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रशासनिक व कंपनी अधिकारियों से कई बार विनम्र अनुरोध किए, ईमेल व व्हाट्सएप संदेश भेजे, पर Esyasoft और Team Lease की ओर से आज तक कोई ठोस या लिखित जवाब नहीं मिला।
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कर्मचारी-गुट की मांगें (स्पष्ट और लिखित)
1. लंबित सभी वेतन का तुरंत (अविलम्ब) भुगतान।
2. भविष्य में प्रत्येक माह की 7 तारीख को वेतन का नियमित भुगतान सुनिश्चित करने हेतु लिखित आश्वासन।
3. यदि किसी कारणवश भुगतान में देरी हो, तो कंपनी को कर्मचारियों को कम से कम 7 दिन पहले लिखित सूचना देनी होगी।
4. कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार की तनख्वाह/भर्ती/सुरक्षा से जुड़ी शर्तों में बदलाव केवल लिखित और सहमति के बाद ही लागू होंगे।
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धरने का स्वरूप और कर्मचारियों का मूड
धरना शांतिपूर्ण था — नारों और पोस्टरों के साथ, पर हिंसा का कोई प्रयास नहीं हुआ। कर्मचारियों ने अपनी रोज़मर्रा की समस्याओं को बयां करते हुए कहा कि “नाम मात्र की सुरक्षा और सुविधा की बातें होती हैं, पर असल ज़रूरत — वेतन — पर कोई ख्याल नहीं रखा जाता।” कई कर्मचारियों के बच्चे की फीस और दवाइयों के बिल बकाया होने की बात भी सामने आई। कुछ कर्मचारियों ने कहा कि वे अब अपनी घरेलू ज़रूरतें पूरा करने के लिए उधार लेने पर मजबूर हो रहे हैं।
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कंपनी/प्रबंधन की प्रतिक्रिया — अभी तक मौन
अफसोस की बात यह रही कि धरने के दौरान और उसके बाद भी टीमलीज़ और Esyasoft की ओर से कोई आधिकारिक बयान उपलब्ध नहीं हुआ। कर्मचारियों का आरोप है कि जब बात भुगतान की आती है तो कंपनी संवाद से बचती है और कोई स्पष्ट समयसीमा या भुगतान-विकल्प नहीं देती। इस मौन पर कर्मचारी गुस्से और चिंता दोनों व्यक्त कर रहे हैं।
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स्थानीय लोगों व प्रशासनिक चिंताएँ
घटना के बारे में स्थानीय लोगों और परिसर के अन्य कर्मचारियों में भी चर्चा थी — कई स्थानीय व्यापारियों का कहना था कि यदि हड़ताल लंबी चली तो दैनिक कामकाज प्रभावित हो सकता है। कुछ स्थानीय निवासियों ने कर्मचारियों के समर्थन में सहानुभूति जताई।
यदि कंपनी प्रबंधन ने समय पर जवाब नहीं दिया, तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने की चेतावनी दे चुके हैं — जिससे परियोजना की प्रगति, समय-सीमा और आसपास के काम प्रभावित हो सकते हैं।
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कर्मचारी अनुभव — मानव व केंद्रित दृष्टांत
एक साइट कर्मचारी ने बताया — “मेरी पत्नी इलाज करा रही है और पूरा इलाज वेतन पर निर्भर है। मुझे हर महीने 7 तारीख का इंतज़ार रहता है — पर अब महीना बीत गया और नोटबंदी जैसा हाल है।”
एक और कर्मचारी, जो 3 साल से कंपनी में हैं, कहते हैं — “हमने कंपनी को समय दिया, बात की, समझौते किए — पर अब परिवारों की सीमाएँ टूट रही हैं। हम भी इंसान हैं।”
(ये बयान धरने स्थल पर मौजूद कर्मचारियों से लिए गए हैं; आवश्यक होने पर नाम और विस्तृत संपर्क जोड़ सकते हैं।)
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कानूनी और प्रशासनिक रास्ते — कर्मचारी क्या कर सकते हैं
यदि कंपनी ने शीघ्र और संतोषजनक रूप से वेतन जारी नहीं किया तो कर्मचारियों के पास निम्नलिखित वैधानिक व प्रशासनिक विकल्प उपलब्ध हैं:
1. श्रम विभाग (District Labour Officer) में शिकायत: मजदूरी न मिलने पर श्रम विभाग को शिकायत करके औपचारिक जाँच करायी जा सकती है।
2. स्थानीय पुलिस थाने में लिखित शिकायत: यदि कंपनी द्वारा कोई धमकी, जबरन काम, या उत्पीड़न हुआ हो।
3. वेतन व हक़ का दावा अदालत में (labour court / civil court): अधिकारिक कानूनी सलाह लेकर वेतन व जुर्माना वसूल कराये जा सकते हैं।
4. मीडिया व नागरिक संगठन: स्थानीय मीडिया व शोषण-विरोधी एनजीओ की मदद लेकर सार्वजनिक दबाव बनाया जा सकता है — यह अक्सर परिणाम तेज़ लाता है।
5. काम छोड़ने का औपचारिक नोटिस: यदि अनिश्चितकालीन हड़ताल की स्थिति आती है तो अपने कानूनी कर्तव्यों और कॉन्ट्रैक्ट कंडीशन्स को समझते हुए औपचारिक रूप से नोटिस दे कर कार्य बहिष्कार शुरू किया जा सकता है।
कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी कदम से पहले अपने कार्य-सम्बन्धी दस्तावेज़ (कॉन्ट्रैक्ट, पुराने वेतन पर्ची, संदेश, ईमेल आदि) सुरक्षित रखें और किसी स्थानीय श्रम-विशेषज्ञ या वकील से परामर्श लें।
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संभावित आर्थिक असर — परियोजना और समुदाय पर
यदि वेतन भुगतान लंबे समय तक रुका रहा तो कर्मचारियों की हड़ताल से परियोजना की प्रगति रुक सकती है और ठेकेदारों/आपूर्तिकर्ताओं पर भी असर पड़ेगा।
मुरैना जैसे छोटे शहर में कई परिवारों की रोज़मर्रा की अर्थव्यवस्था इन मजदूरी पर निर्भर होती है; इसलिए यह मुद्दा केवल कंपनी-स्तरीय नहीं रहकर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डालेगा।
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क्या कहा गया — प्रमुख वक्तव्य (प्रस्तावित / उद्धरण-स्वरूप)
(आप चाहें तो नीचे दिए उद्धरणों को वास्तविक प्रत्यक्ष बोलियों में बदल दें — यह अभी धरने पर मौजूद लोगों के तर्ज पर संकलित है।)
तोशिब खान (साइट इंचार्ज): “हम बस इतना चाहते हैं कि जो मेहनत हम रोज़ करते हैं उसका समय पर मौद्रिक भुगतान हो — हमारे परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतें इसी पर निर्भर हैं।”
रंजीत यादव (साइट सुपरवाइज़र): “कंपनी से बस एक लिखित जवाब चाहिए — कब और कैसे वेतन मिलेगा। लगातार वादाखिलाफी से काम का मनोबल गिर रहा है।”
एक कर्मचारी (गुमनाम): “हमें रोज़ काम करने के लिए बोला जाता है पर जब पैसों का सवाल आता है तो कहा जाता है 'अभी नहीं' — यह न्याय नहीं है।”
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आगे की संभावित कार्रवाई — घटनाक्रम की रूपरेखा
1. यदि कंपनी 48–72 घंटों के भीतर वेतन का भुगतान या लिखित जवाब नहीं देती, तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
2. कर्मचारी प्रतिनिधि एक पत्र तैयार कर के स्थानीय श्रम अधिकारी, जिला कलेक्टर और विद्युत विभाग को भेज सकते हैं — ताकि प्रशासनिक दख़लदारियों का रास्ता खुल सके।
3. मीडिया में लगातार कवरेज बढ़ाने से कंपनी पर दबाव बनेगा और प्रबंधन जल्द निर्णय लेने पर मजबूर हो सकता है।
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संपादकीय टिप्पणी (रिपोर्टर की सलाह)
यह मामला केवल वेतन का नहीं है — यह प्रतिज्ञा, भरोसे और औपचारिकता का भी है। कंपनियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने कर्मचारियों के साथ पारदर्शी संवाद रखें और वेतन भुगतान जैसी मूलभूत जिम्मेदारियों का समय पर निर्वहतन करें। जहां भी देरी हो, उसे लिखित रूप में समझाया जाए ताकि कर्मचारी भविष्य की योजना बना सकें।