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जीरादेई के पूर्व विधायक और सिवान सांसद विजय लक्ष्मी जी के पति इन दिनों सिवान की राजनीति में खूब चर्चा में हैं।

राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि किसी की कदर या तो तब होती है जब वह जीतता है, या उसके पास इतनी ताकत होती है कि वह किसी को हरा दे।

जैसे देखा गया, आरजेडी के संस्थापक सदस्य डॉ. मुहम्मद शहाबुद्दीन साहब की पत्नी गोपालगंज 2022 के उपचुनाव में आरजेडी से अलग थीं। नतीजा यह हुआ कि आरजेडी के प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता केवल 1794 वोट से हार गए। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार हिना शहाब ने आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी को हराया और उनसे ज्यादा वोट भी हासिल किए, जबकि जदयू की विजय लक्ष्मी जीत गईं।

इसी तरह, रमेश सिंह कुशवाहा को 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू का टिकट नहीं मिला। बावजूद इसके उनकी पकड़ पूरे सिवान में इतनी मजबूत थी कि जदयू चारों सीटों पर हार गई। इसमें बड़हरिया से श्याम बहादुर सिंह भी शामिल थे। बाद में, 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी को जदयू के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा गया। वहीं, हिना शहाब और उनके बेटे ओसामा शहाब को पटना बुलाकर आरजेडी में शामिल किया गया।

अवध बिहारी चौधरी को भी पहले आरजेडी से टिकट नहीं मिला था, लेकिन उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर आरजेडी के प्रत्याशी बबलु चौहान को सिवान सदर से विधायक बनने नहीं दिया। इसका नतीजा यह है कि वे आज भी सिवान की राजनीति में मजबूत स्थिति में हैं।
सिवान में ऐसे कई उदाहरण हैं — जैसे पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव और कविता सिंह का टिकट कटना। दोनों ने निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से चुनाव नहीं लड़ा, अपनी ताकत नहीं दिखा पाए, और अब उनके लिए टिकट पाना मुश्किल हो गया है।

अब देखना यह है कि बड़हरिया से श्याम बहादुर सिंह जदयू से टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या नहीं। सिवान की राजनीति में आज रमेश सिंह कुशवाहा विशेष रूप से जदयू के चाणक्य बन हुए हैं। इसलिए राजनीति में हर कदम सोच-समझकर उठाया जाता है।

इसलिए कहा जाता है — जीत हो या हार, हमेशा तैयार रहो।
आप क्या सोचते हैं? कमेंट में जरूर बताइए।

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