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अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के अतिथि सदस्य कवि दलीचन्द जांगिड़ सतारा का परिचय

अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के अतिथि सदस्य कवि दलीचन्द जांगिड़ सतारा का परिचय।

पाली (खौड) अंगिरा वंशज दलीचंद जांगिड़ सतारा किसी परिचय का मोहताज नहीं है। फिर भी मैं अपने पाठकों को जांगिड समाज के विख्यात कवि का परिचय करवाना अपना कर्तव्य समझ रहा हूं ।कवि दलीचन्द जांगिड़ के का जन्म 1 जनवरी 1955 को पाली जिला अन्तर्गत खौड गांव में जेठाराम जी उमराणियां के यहां हुआ।

आप रोजगार की तलाश में गांव से दूर महाराष्ट्र के सतारा शहर में आये। यहां आपने जीवन यापन के लिए परम्परागत शिल्प कार्य अपनाया। अपनी शालीनता शिष्टाचार और व्यवहार कुशलता के फलस्वरूप आप ठेकेदार बने, उसके बाद आपने ठेकेदारी बंद कर स्वय का रोजगार आरंभ करने के लिए सतारा में ही प्लाईवुड एवं हार्डवेयर की दुकान स्थापित की।

आपकी ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती रही उसी अनुपात में आपमें समाज सेवा के बीज अंकुरित हुए फलस्वरूप आपने सतारा में विश्वकर्मा मंदिर स्थापित कर समाज बंधुओ को जोड़ने का स्तुत्य कार्य किया। इस दौरान आप महासभा के संरक्षक सदस्य बने आपकी सदस्य संख्या 23309 है । महासभा सदस्य बनने के बाद आपमें दुसरो से गुण ग्राहणता और सिखने की लालसा जागरूक हुई इसके लिए आप समाज के वैदिक विद्वान दयानन्द जी शर्मा साऊथ अफ्रीका, सत्यपाल जी वत्स बहादुर गढ़, घेवरचन्द आर्य पाली के आदि के सम्पर्क में आकर वैदिक ज्ञान की और अग्रसर हुए ।
वेद एवं वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से आपमें समाज को जागरूक करने के लिए लेख एवं कविता लिखने का ज्ञान विकसित हुआ जो अब परवान पर है।

वर्तमान में आप का निवास स्थान 11 गुलमोहर कालोनी आई टी आई समोर मोलाचा ओढ़ा गेन्डामाल सतारा में निवासरत है आप श्री विश्वकर्मा मंदिर सतारा के अध्यक्ष हैं। आपने अब तक समाज उपयोगी 665 से अधिक लेख कविताएं लिखकर लेखन के मामले में एक आयाम स्थापित किया है जो हर समाज बंधु के लिए आदर्श एवं प्रेरणादायक है।
आपकी इन्हीं खुबियों के फलस्वरूप महासभा प्रधान जी और आध्यात्मिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष जी ने आपको आध्यात्मिक प्रकोष्ठ का अतिथि सदस्य नियुक्त किया गया है जो महासभा के लिए हर्ष एवं गर्व करने योग्य है। किसी ने सही कहा है कि - कवि और लेखक किसी परिचय का मोहताज नहीं होता।

घेवरचन्द आर्य पाली
प्रवक्ता आध्यात्मिक प्रकोष्ठ

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