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ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र परिषद की विशेष बैठक का हुआ आयोजन "निर्विवाद रूप से लक्ष्मी पूजन एवं दीपावली 21 अक्टूबर"

छोटी काशी बूंदी (राजस्थान)

दीपावली त्योहार आयोजन की तिथि संबंधी उत्पन्न संदेह और भ्रम को दूर करने हेतु गत 75 वर्षों से लगातार जन मानस को मार्गदर्शन एवं विवाद रहित आयोजनो के संबंध में संस्तुति दे रही रियासतकाल से संस्थापित जिले की सबसे पुरानी संस्था बून्दीस्थ ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र परिषद की कार्यकारिणी बैठक रविवार को शहर के लाल बिहारी जी चौक स्थित माधव ज्योतिष कार्यालय पर संपन्न हुई । बैठक में ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा (चालकदेवी वाले) की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से पूर्व में आयोजित बैठक के निर्णयानुसार शास्त्रसंगत नियमानुरूप दीपावली पर्व 21 अक्टूबर को ही मनाने की पुष्टि की गई।


धार्मिक पर्व आयोजन में सर्वसम्मत तार्किक विवादरहित निर्णयन हेतु परिषद द्वारा 11 माह पूर्व बैठक आयोजन किया किया गया था। जिसमें सूर्यनगरी जोधपुर के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भविष्यवक्ता, हस्तरेखा, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ रमेश भोजराज द्विवेदी, ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान जोधपुर के अध्यक्ष डॉ भैरू प्रकाश दाधीच, काशी विद्वत परिषद वाराणसी के आचार्य प्रवीण पांडेय के सानिध्य में कथा व्यास ऋतुराज गौतम सहित विभिन्न क्षेत्र के वरिष्ठ विद्वानों ने प्रतिनिधित्व किया था व दिवाली पर्व 21 अक्टूबर को आयोजन का निर्णय लिया था।



बैठक संचालन करते हुए मंत्री पंडित पुरूषोत्तम शर्मा ने जनशंकाओं, विद्वजन द्वारा विश्लेषण त्रुटियों व सोशल मीडिया आदि द्वारा भ्रमपूर्ण तथ्यों से अवगत करवाया । आयोजन में पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा ने धर्म सिंधु ग्रंथ के संदर्भित तथ्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि यदि अमावस्या सूर्योदय से आरम्भ होकर साढ़े तीन प्रहर हो तथा अगले दिन प्रतिपदा का मान अमावस्या से अधिक हो तो उदयकालीन अमावस्या को ही दीपावली पर्व मनाया जाना चाहिए। निर्णयसिंधु के अनुसार यदि दोनों दिन अमावस्या प्रदोष काल में हो तो अगले दिन ही दीपावली मनाई जानी चाहिए। इन दोनों प्रमाणों के आधार पर 21 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी।

कुछ विद्वानों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि दिनांक 21 अक्टूबर को अमावस्या सायं 5.55 पर समाप्त होने से प्रदोषकाल व्यापिनी नहीं है किंतु टीकाकारों ने स्पर्श मात्र को ही व्यापकत्व माना है न कि संपूर्ण व्याप्ति को, कुछ विद्वान यह भ्रम फैला रहे हैं कि रात्रि भोजन के समय अमावस्या होनी चाहिए किंतु इसका कोई शास्त्रीय आधार नहीं है। महालक्ष्मी जी का प्राकट्य गोधूलि बेला में होने से, सूर्योदय कालीन अमावस्या यदि गोधूलि व्यापिनी हो तो उसी अमावस्या की रात्रि में ही दीपावली मानना शास्त्र सम्मत है।

अतः सर्वसम्मत रूप से 21 अक्टूबर को बिना किसी सन्देह व भ्रम रहित होकर श्री महालक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। अत: निर्विवाद रूप से इसी दिन दीपावली पर्व व महालक्ष्मी पूजन किया जाना शास्त्र सम्मत है। पं. विनोद शर्मा जगन्नाथपुरा ने शंकाओं को निरर्थक बताते हुए विभिन्न भ्रम के संबंध में तार्किक स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि इस संबंध में कोई विवाद नहीं है अतः जनमानस को निश्चिन्त होकर 21 अक्टूबर को ही दीपज्योति पर्व मनाकर स्वयं और विश्व के कल्याण की मंगलकामना करनी चाहिए। बैठक में धर्मशास्त्र परिषद के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा चालक देवी वाले, मंत्री पंडित पुरुषोत्तम शर्मा, पंडित संपूर्णानंद शुक्ला, पंडित सीताराम जोशी, पंडित मनोज जोशी, पंडित विनोद शर्मा जगन्नाथपुरा, पंडित संदीप चतुर्वेदी ने आमजन से प्राप्त विभिन्न प्रश्नों का निदान प्रस्तुत करते हुए कहा कि 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने के पक्षधर विद्वान इस संबंध में कोई शास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पा रहे है।

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