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भागवत कथा सुनने से बढ़ती है भगवान के प्रति गहरी आस्था — आशीष गुरु कृष्णचरणानुरागी

सिंग्रामपुर। स्वर्गीय श्री बाला प्रसाद पटेल की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर सुनील पटेल के निवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथा वाचक पंडित श्री आशीष गुरु कृष्णचरणानुरागी जी ने कहा कि भागवत कथा सुनने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है और भगवान के प्रति गहरी आस्था उत्पन्न होती है।
उन्होंने सती प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि बिना निमंत्रण किसी स्थान पर जाने से पहले यह विचार अवश्य करना चाहिए कि वहां हमारे इष्ट या गुरु का अपमान तो नहीं हो रहा है। यदि ऐसी आशंका हो, तो उस स्थान पर जाने से बचना चाहिए।
ध्रुव चरित्र प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि सौतेली मां सुरुचि के अपमानित करने पर भी ध्रुव की माता सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे बड़ा संकट टल गया। उन्होंने कहा कि परिवार को एकसूत्र में बांधे रखने के लिए धैर्य और संयम आवश्यक है।
पंडित आशीष गुरु कृष्णचरणानुरागी जी ने कहा कि भक्ति के लिए उम्र कोई बाधा नहीं होती। बचपन में भक्ति के संस्कार देना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है जिसे जैसा चाहें, वैसा आकार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यदि ध्रुव ने पांच वर्ष की आयु में तपस्या कर भगवान को पा लिया, तो सच्चे मन से भक्ति करने वाला कोई भी व्यक्ति भगवान का साक्षात्कार कर सकता है।”
कथावाचक ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में भक्ति, संयम और श्रद्धा का पालन करें, क्योंकि जब भक्ति सच्ची होती है, तो भगवान स्वयं अपने भक्तों से मिलने आते हैं।

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