एक स्त्री जिसने तानाशाही के अंधेरे में लोकतंत्र की मशाल जलाई🔥
एक स्त्री जिसने तानाशाही के अंधेरे में लोकतंत्र की मशाल जलाई🔥
वो जेल गईं। वो छुपीं। वो अपनों से बिछड़ीं। लेकिन झुकी नहीं।
नाम है — मारिया कोरीना माचाडो।
देश — वेनेज़ुएला।
और आज पूरी दुनिया उन्हें जान रही है… क्योंकि उन्हें मिला है 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार।
जब अमेरिका के राष्ट्रपति माय फ्रेंड डोनाल्ड ट्रम्प तक ये सम्मान पाने की उम्मीद में थे, तब नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने एक संदेश दिया —
“सच्ची शांति ताकत से नहीं, साहस से जन्म लेती है।”
मारिया वही ‘आयरन लेडी’ हैं जिन्होंने तानाशाह निकोलस मादुरो के सामने लोकतंत्र का झंडा थामे रखा।
उनके देश में चुनाव लूटे गए, आवाज़ें कुचली गईं, पत्रकार जेल में ठूंसे गए।
लेकिन माचाडो ने कहा — “लोकतंत्र कोई उपहार नहीं, ये संघर्ष से कमाया जाता है।”
वो छिपकर भी लड़ीं। वो टूटकर भी संभलीं।
और आज... दुनिया उनकी जिद को सलाम कर रही है।
मारिया कोरीना माचाडो, एक नाम जो याद दिलाता है —
तानाशाह चाहे जितना शक्तिशाली हो, एक सच्ची औरत का साहस हमेशा उससे बड़ा होता है।