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कौमारभृत्य विभाग, आयुर्वेद संकाय, बी.एच.यू. में “ किशोर स्वास्थ्य देखभाल: चुनौतियाँ और समाधान पर *सी.एम.ई* . *का सफल आयोजन***

वाराणसी (बी.एच.यू.)।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के अंतर्गत कौमारभृत्य (बाल रोग) विभाग द्वारा “Adolescent Girl Health Challenge” विषय पर एक दिवसीय सी.एम.ई. (Continuing Medical Education) कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

आयोजन समिति की सचिव डॉ. कल्पना पाटनी, आयोजन अध्यक्ष डॉ. प्रेम शंकर उपाध्याय ( विभागाध्यक्ष )प्रो.बृजमोहन सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम संपन्न हुआ।

विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेम शंकर उपाध्याय ने बताया कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित किए जाते रहेंगे, जिससे किशोरावस्था में होने वाली बीमारियों का निवारण सरलता से किया जा सके।

आयोजन सचिव डॉ. कल्पना पाटनी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से किशोरावस्था में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति बच्चों को सही जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि इस आयु वर्ग के बच्चे कई बार अपनी समस्याएँ परिजनों से साझा करने में संकोच करते हैं, ऐसे में इस प्रकार की पहल उन्हें जागरूक बनाने में सहायक सिद्ध होती है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एस. एन. संखवार (निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बी.एच.यू.) ने अपने संबोधन में कहा कि समय-समय पर इस प्रकार के सी.एम.ई. कार्यक्रमों के आयोजन से किशोरावस्था में उत्पन्न होने वाली शारीरिक और मानसिक परेशानियों के समाधान में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है।

विशिष्ट अतिथि एवं डीन, आयुर्वेद संकाय, प्रो. पी. के. गोस्वामी ने कहा कि ऐसे शैक्षणिक आयोजनों के साथ-साथ अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि किशोरियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभावी समाधान खोजा जा सके।

इस अवसर पर अतिथि वक्ता (Guest Speaker) के रूप में डॉ. रुचि तिवारी (राजकीय आयुर्वेद कॉलेज, वाराणसी) ने *किशोर लड़कियों की स्वास्थ्य चुनौती और* *प्रबंधन रणनीतियाँ* विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जबकि डॉ. राकेश कुमार सिंह (Director, Research, BARC Nepal) ने
*किशोरावस्था के पुरुष और ट्रांसजेंडर के लिए स्वास्थ्य का सामूहिक दृष्टिकोण*
विषय पर अपने विचार साझा किए।

संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. रवि शंकर खत्री ने कहा कि किशोरावस्था एक संवेदनशील चरण है, जिसमें बच्चों में विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएँ देखने को मिलती हैं। इनका समय पर निदान और उचित परामर्श अत्यंत आवश्यक है।

डॉ. दीपा मिश्रा (विभागाध्यक्ष, प्रसूति तंत्र विभाग) ने अपने वक्तव्य में बताया कि किशोरावस्था में रक्ताल्पता (Anemia) एक प्रमुख समस्या है, जिसे प्रारंभिक स्तर पर पहचान कर नियंत्रित किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन जॉइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. वैभव जायसवाल द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में अवसाद (Depression), तनाव (Stress) एवं चिंता (Anxiety) जैसी समस्याओं के प्रति विद्यालयों और परिवारों को जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

इस अवसर पर प्रो. सुनीता सुमन, प्रो.
विश्वेश बी.एन एवं डॉ. अनुराधा राय की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. आकांक्षा सीनियर रेजिडेंट (कौमारभृत्य विभाग) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभाग के एम.डी., पीजी डिप्लोमा एवं पी.एच.डी. के विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

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