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UP: दो करोड़ की लूट में दो सिपाही भी शामिल...एक गिरफ्तार, दूसरे ने किया सरेंडर; मास्टरमाइंड का हुआ था एनकाउंटर

सिपाहियों ने बदमाशों से नई दिल्ली जाकर मुलाकात की थी। पांच-पांच लाख रुपये मदद की एवज में ले लिए थे। गिरफ्त में आए दोनों सिपाहियों से ये रकम पुलिस ने बरामद की है।फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर क्षेत्र में 30 सितंबर 2025 को गुजरात की वित्तीय प्रबंधन कंपनी जीके के कर्मियों से हुई 2 करोड़ रुपये की सनसनीखेज लूट के मामले में आगरा में तैनात दो सिपाही भी शामिल थे। इनमें से एक आगरा जीआरपी में मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह है, जो अलीगढ़ के हरदुआगंज का रहने वाला है। इसके पिता बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे। उसे पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर दिया। वहीं, दूसरा आगरा पुलिस लाइन में तैनात मनोज कुमार है, जो मक्खनपुर (फिरोजाबाद) में रहता है। उसके पिता भी पुलिसकर्मी थे। मनोज ने देर रात शिकोहाबाद थाने में सरेंडर किया और रकम बरामद कराई।
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि एनकाउंटर में ढेर हो चुके दुर्दांत लुटेरे नरेश उर्फ पंकज पंडित निवासी अरनी, खैर, अलीगढ़ के गिरोह में शामिल गिरफ्तार लुटेरे मोनू उर्फ मिलाप निवासी गढबढ जैतपुर, आगरा के संपर्क में सिपाही मनोज कुमार था। दरअसल, मोनू को ट्रांसयमुना थाने में तैनाती के दौरान मनोज कुमार ने जेल भिजवाने में भूमिका निभाई थी। तभी से अपराधी मोनू और सिपाही मनोज संपर्क में आ गए। UP: दो करोड़ की लूट में दो सिपाही भी शामिल...एक गिरफ्तार, दूसरे ने किया सरेंडर; मास्टरमाइंड का हुआ था एनकाउंटर
संवाद न्यूज एजेंसी, फिरोजाबाद Published by: अरुन पाराशर Updated Tue, 07 Oct 2025 09:17 PM IST

सिपाहियों ने बदमाशों से नई दिल्ली जाकर मुलाकात की थी। पांच-पांच लाख रुपये मदद की एवज में ले लिए थे। गिरफ्त में आए दोनों सिपाहियों से ये रकम पुलिस ने बरामद की है।
Police arrested two constables in connection with Rs 2 crore robbery in Firo
फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर क्षेत्र में 30 सितंबर 2025 को गुजरात की वित्तीय प्रबंधन कंपनी जीके के कर्मियों से हुई 2 करोड़ रुपये की सनसनीखेज लूट के मामले में आगरा में तैनात दो सिपाही भी शामिल थे। इनमें से एक आगरा जीआरपी में मुख्य आरक्षी अंकुर प्रताप सिंह है, जो अलीगढ़ के हरदुआगंज का रहने वाला है। इसके पिता बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे। उसे पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर दिया। वहीं, दूसरा आगरा पुलिस लाइन में तैनात मनोज कुमार है, जो मक्खनपुर (फिरोजाबाद) में रहता है। उसके पिता भी पुलिसकर्मी थे। मनोज ने देर रात शिकोहाबाद थाने में सरेंडर किया और रकम बरामद कराई।
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि एनकाउंटर में ढेर हो चुके दुर्दांत लुटेरे नरेश उर्फ पंकज पंडित निवासी अरनी, खैर, अलीगढ़ के गिरोह में शामिल गिरफ्तार लुटेरे मोनू उर्फ मिलाप निवासी गढबढ जैतपुर, आगरा के संपर्क में सिपाही मनोज कुमार था। दरअसल, मोनू को ट्रांसयमुना थाने में तैनाती के दौरान मनोज कुमार ने जेल भिजवाने में भूमिका निभाई थी। तभी से अपराधी मोनू और सिपाही मनोज संपर्क में आ गए।
मोनू और एनकाउंटर से पहले हुई पूछताछ में नरेश ने इन दोनों सिपाहियों के नाम लिए थे। बताया था कि दोनों से डेढ़ माह पहले आगरा में मुलाकात की थी। लूट की प्लानिंग बताई थी। तय किया था कि वह उनकी मदद करेंगे और लूट के बाद पुलिस की गतिविधियों की जानकारी देंगे।

30 सितंबर को लूटकांड के बाद दोनों सिपाहियों ने बदमाशों से नई दिल्ली जाकर मुलाकात की और तय पांच-पांच लाख रुपये मदद की एवज में ले लिए थे। अंकुर प्रताप सिंह को श्याम फैमिली ढाबा, रूपसपुर के पास से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से पांच लाख रुपये बरामद हुए हैं। दूसरा सिपाही, मनोज कुमार फरार देर रात पुलिस के सामने हाजिर हो गया।
अंकुर डेढ़ माह पहले ही जीआरपी में गया, मनोज हुआ था निलंबित
गिरफ्तार सिपाही अंकुर प्रताप सिंह डेढ़ महीने पहले तक थाना ट्रांस यमुना में तैनात था और हाल ही में रिलीव होकर जीआरपी में चला गया था। फरार सिपाही मनोज कुमार भी पहले थाने की एसओजी में तैनात था और एक महीने पहले एक महिला के छत से गिरने के मामले में निलंबित भी हुआ था। बाद में बहाली के बाद वह पुलिस लाइन में तैनात था। बताया गया है कि दोनों एक ही किराए के कमरे में साथ-साथ रहते थे।

पिता ने अपराध के खात्मे को शाहदत दी, बेटे ने अपराधियों से हाथ मिलाकर कलंक लगाया
अंकुर प्रताप सिंह मूलरूप से अलीगढ़ के हरदुआगंज थाना क्षेत्र के खैर आलमपुर का रहने वाला था। उसके पिता गिरीश पाल सिंह आगरा में एसओजी में तैनात थे। वर्ष 2000 के करीब बदमाश गिरोह से हुई मुठभेड़ में वह शहीद हो गए थे। उस वक्त अंकुर नाबालिग था। वर्ष 2011 में उसे पिता की शाहदत के बदले पुलिस महकमे में मृतक आश्रित कोटे से सिपाही के पद पर नौकरी मिली थी। गिरीश पाल सिंह को नाम आज भी आगरा पुलिस के रिकॉर्ड में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उन्होंने दुर्दांत अपराधी जानकी का एनकाउंटर करने वाली टीम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। पिता ने जहां, अपराध के खात्मे के लिए अपनी जान दे दी, वहीं बेटे अंकुर ने अपराधियों से हाथ मिलाकर खाकी पर ही कलंक लगा दिया।

मनोज के पिता भी थे पुलिस में
फरार सिपाही मनोज के पिता भी पुलिस में थे। वह मूलरूप से औरैया के बताए जाते हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मनोज के पिता की तैनाती जब फिरोजाबाद में हुई तो उन्होंने उसी समय यहां मक्खनपुर क्षेत्र में मकान बनवा लिया था। तब से उनका परिवार यहीं रहता है।

साइबर अपराधी मोनू ने कराई थी नरेश से सिपाहियों की मुलाकात
ट्रांसयमुना थाने में सिपाही मनोज और अंकुर प्रताप सिंह की एक साथ तैनाती थी। बीते वर्ष अपराधी मोनू को इन्होंने जेल भेजने में भूमिका निभाई थी। तभी से मोनू इनके संपर्क में आ गया। मोनू के जेल से छूटकर आने के बाद दोनों सिपाही उसके साथ अय्याशी करते थे। साइबर अपराधी मोनू को जब दुर्दांध नरेश ने दो करोड़ की लूट की योजना में शामिल किया तो मोनू ने ही नरेश के सामने पुलिस के किसी व्यक्ति को भी वारदात में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था, ताकि लूटकांड के बाद पुलिस की प्रत्येक गतिविधि की जानकारी मिल सके और गैंग उसी अनुसार खुद को सुरक्षित कर सके। इसी क्रम में डेढ़ माह पहले नरेश ने सिपाही अंकुर और मनोज से आगरा में उनके किराए के कमरे पर ही मुलाकात की थी।
मोनू के बयानों पर नहीं हुआ भरोसा, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से पुलिस ने तस्दीक की पुख्ता
मोनू के द्वारा जब पुलिस को बताया गया कि इस वारदात में उनके साथ आगरा के दो सिपाही भी शामिल हैं, तो पुलिस को उसकी बात पर सहज ही भरोसा नहीं हुआ। पुलिस ने इसीलिए इनके नामों को भी उजागर नहीं किया था। एसएसपी के निर्देश पर पुलिस की एक टीम अपराधियों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर, लोकेशन लेने के साथ ही सिपाही मनोज और अंकुर के मोबाइल नंबरों की सीडीआर भी खंगालने लगी। इससे पुख्ता हुआ कि मोनू, नरेश की बातचीत सिपाहियों से होती थी। वारदात वाले दिन और उसके बाद भी इनकी आपस में बातचीत के सुराग मिले। इसके अलावा 30 सितंबर को इनकी मोबाइल लोकेशन नई दिल्ली भी पाई गई। वहीं, सीसीटीवी फुटेज, किराए का जहां कमरा है, वहां आसपास रहने वाले लोगों से जानकारी व इनके सहकर्मियों से जानकारी के आधार पर पुलिस ने पूरी जानकारी जुटाई। जब पुलिस के सामने सटीक साक्ष्य आ गए तो एसएसपी ने अंकुर प्रताप सिंह को दबोच लिया।

गिरफ्तारी की भनक लगते ही फरार हुआ मनोज, देर रात किया सरेंडर
अपनी गिरफ्तारी की भनक लगते ही सिपाही मनोज दिन में फरार हो गया। मंगलवार दोपहर बाद तक पुलिस की कई टीम उसकी तलाश में जुटी रहीं। उसके घर, रिश्तेदारों के यहां भी पता किया। मगर, कोई सुराग नहीं मिला। देर शाम एक चर्चा उठी कि सिपाही मनोज ने सरेंडर कर दिया है। देर रात को मनोज कुमार ने शिकोहाबाद थाने में सरेंडर किया और अपराधियों से ली गई पांच लाख रुपये की रकम भी पुलिस को सौंपी।

लूट के बाद इस तरह हुई कार्रवाई
- 30 अक्तूबर की सुबह पांच बजे मक्खनपुर क्षेत्र में बाईपास पर लूट हुई।
- 4 अक्टूबर को पुलिस ने लूट को अंजाम देने वाले छह शातिर लुटेरों को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से 1 करोड़ 5 हजार 310 रुपये नकद, एक आईफोन और अवैध हथियार बरामद हुए थे।
- 5 अक्टूबर को गिरफ्तार अभियुक्तों में से मुख्य बदमाश नरेश हथकड़ी सहित पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था, जिस पर डीआईजी आगरा रेंज ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।
- 5 अक्तूबर की रात 50 हजार का इनामी और फरार लुटेरा नरेश पुलिस मुठभेड़ के दौरान घायल हो गया, जिसे बाद में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
- 6 अक्तूबर को नरेश के शव का पोस्टमार्टम हुआ
- 7 अक्तूबर को सिपाही अंकुर प्रताप सिंह की गिरफ्तारी हुई। उससे पांच लाख रुपये बरामद किए।

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