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सरकारी नौकरी में सरकार का खेला

उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है तबसे शिक्षित बेरोजगारों की दुश्वारियां और बढ़ गई है,इनके कार्यकाल में दरोगा,सिपाही,शिक्षक भर्ती से लेकर लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी जैसी भर्तियों के पेपर लगातार लीक हुए ,जिससे छात्रों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हुआ ,हद तो यहां तक हुआ कि यूपी बोर्ड की परीक्षा का पेपर तक लीक हुआ और उस पर अंधेरगर्दी ये रही कि अमर उजाला के जिस पत्रकार ने इसका खुलासा किया उसी को जेल में डाल दिया गया
हर तरफ लानत मलामत हुआ तो किसी तरह परीक्षा की सुचिता बनाने में पुलिस भर्ती परीक्षा नकल विहीन कराने में कामयाबी मिली ,लेकिन उसके बाद तो परीक्षा कराने के मंसूबे ही सरकार ने बदल दिए ,माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड से आयोजित होने वाली परीक्षा टीजीटी, पीजीटी,सन २०२२ के विज्ञापन की परीक्षा आज तक न हो पाई,छात्रों के धरना प्रदर्शन करने के बाद इस साल तारीख़ पर तारीख देते हुए पांच बार परीक्षा स्थगित हो चुकी है और अभी भी कब होगी राम ही जाने इस रामराज्य में..
६९००० प्राथमिक विद्यालय शिक्षक भर्ती में ६५००,पिछड़े,दलित वर्ग की सीट सामान्य वर्ग के स्वजातीय लोगों को दे दी गई,जिससे अयोग्य चयनित होकर नौकरी कर रहे और योग्य,बेरोजगारी का दंश भी झेल रहे और सरकारी लाठी भी झेल रहे ,,,,छात्र सड़क से लेकर संसद तक और संसद से लेकर न्यायालय तक गए किसी तरह इन्हें कोर्ट से न्याय का आदेश तो मिला लेकिन सरकार कोर्ट के आदेश का भी अवहेलना करते हुए ये तानाशाही सरकार आज तक उन छात्रों को उनका हक नहीं दिया जिसके लिए वे योग्य हैं ,हकदार हैं अब जबकि कोर्ट में ये साबित हो चुका है कि ६५०० सीटों पर घपला हुआ है फिर भी सरकार पीड़ितों को उनका हक नहीं दे रही क्योंकि इनकी सीट पर नियुक्त किए सामान्य वर्ग के है जो कि बाहर हो जाएंगे ,,, स्वजातीय प्रेम मै सरकार इस कदर अंधी हो चुकी है कि सीधे आंख में उंगली धकेल रही है उसे सही गलत कानून संविधान कुछ दिखाई सुनाई नहीं दे रहा ,उसे ने जनता का डर है न न्यायालय का , न्यायालय भी सरकार के चौखट पर नतमस्तक हो चुकी है
इसी तरह नौकरी में घोटाला का एक और मामला तत्काल में सामने आया है जिसमें उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित "सहायक सांख्यिकी अधिकारी भर्ती वर्ष २०१९ का जिसका परिणाम २०२४ में आया जिसके चयन में भी स्वजातीय को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया
जब योग्य छात्र जिन्हें अपने काबिलियत पर भरोसा था जिनका पेपर अच्छा हुआ था चयन सूची से बाहर हो गए तो उन्होंने जांच पड़ताल शुरू की जिसमें सामने आया कि पूरी भर्ती में लगभग चार से पांच सौ सीटों पर लोग फर्जी नियुक्ति पाए हैं,जो कि सामान्य वर्ग के है,जिसमें फर्जी डिग्री धारक,अयोग्य उम्मीदवार,चयनित किए गए है आर्थिक आधार पर आरक्षण का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर लगभग चालीस लोग ने नौकरी प्राप्त किया है,जिसका की साक्ष्य भी है,और जिसे प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री के पास भी छात्रों ने प्रेषित किया है,ये सभी फर्जी चयनित जाति विशेष वाले हैं
अब आगे देखना है कि सरकार इनपर कारवाई करती है या जाति के नाम पर यहां भी मौन साध लेती है,,इस तरह से अगर भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार होता रहेगा तो फिर पढ़ने वाले मेहनती बच्चों का भविष्य क्या होगा फिर तो इन्हें भी स्वीकार कर लेना होगा कि "पकौड़ा तलना ही रोजगार है"
क्योंकि "अंधा बांटे रेवड़ी,फिर फिर अपने को दे""

ऋषिमुनि समीर
प्रयागराज

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