
रावण को दामाद मानकर मंदसौर के आमजन दशहरा पर पूजा अर्चना करते, रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की बेटी थी।
मन्दसौर। असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा उत्सव 2 सितंबर को गुरूवार के दिन मनाया जायेगा। इस दिन जगह-जगह रावण दहन किया जाता है। रावण दहन के साथ ही नवरात्रि की भी समाप्ति हो जाएगी। लोग रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बनाकर उसको जलाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश जिला मंदसौर शहर ऐसा भी है जहां रावण का वध करने के बजाय दशहरा पर उसकी पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि ये जगह रावण की पत्नि मंदोदरी का मायका है। इसीलिए यहां के लोग रावण को दामाद मानकर उसका वध करने के बजाय पूजा करते हैं। मध्यप्रदेश के मंदसौर शहर के बारे में ऐसी मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की थी। इसी लिहाज से मंदसौर रावण का ससुराल है। पूर्व में इस जिले को दशपुर के नाम से पहचाना जाता था। यहां के खानपुरा क्षेत्र में रुण्डी नामक स्थान पर रावण की प्रतिमा स्थापित है, जिसके 10 सिर हैं। यहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। हर साल दशहरे के अवसर में रावण के पूजन का आयोजन मंदसौर के नामदेव समाज द्वारा किया जाता है। मंदसौर के स्थानीय निवासियों का कहना है कि रावण मंदसौर का दामाद था, इसलिए महिलाएं जब प्रतिमा के सामने पहुंचती हैं तो घूंघट डाल लेती हैं। मान्यता है कि इस प्रतिमा के पैर में धागा बांधने से बीमारी नहीं होती। यही कारण है कि अन्य अवसरों के अलावा महिलाएं दशहरे के मौके पर रावण की प्रतिमा के पैर में धागा बांधती हैं। मंदसौर ही वो जगह है जहां राम के साथ रावण की भी पूजा की जाती है और इसकी वजह है रावण का मंदसौर का दामाद होना। किवदंती है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की ही बेटी थी। इसलिए आज भी यहां पर रावण को दामाद माना जाता है। मंदसौर का नामदेव समाज रावण को पूजता है और विजयादशमी के दिन खानपुरा में स्थापित उनकी 42 फीट ऊंची प्रतिमा की विशेष पूजा करता है, दशहरा को एक अनूठा और अलग दृष्टिकोण प्रदान करती है, जहां रावण के प्रति सम्मान का भाव भी दर्शाया जाता है।