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दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व।


भारत में मनाए जाने वाले हर त्योहार का अपना अलग महत्व है। दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, ऐसा ही पर्व है जो हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

यह पर्व भगवान श्रीराम की उस विजय का प्रतीक है जब उन्होंने राक्षसराज रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया। यह दिन "विजयादशमी" कहलाता है क्योंकि यह असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देता है।

रावण दहन का महत्व

हर साल दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है। यह केवल रावण के अंत की याद नहीं है, बल्कि इसका गहरा संदेश है।

रावण दहन हमारे अंदर बसे अहंकार, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और अन्य बुराइयों को खत्म करने का प्रतीक है।

यह हमें याद दिलाता है कि चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली और विद्वान क्यों न हो, यदि वह गलत राह पर चलता है तो उसका अंत निश्चित है।

रावण: एक महान विद्वान भी था
रावण केवल एक खलनायक नहीं था। वह एक महान शिवभक्त, अद्वितीय विद्वान और वेद-शास्त्रों का ज्ञाता था। लंका उसकी समृद्धि और योग्यता का प्रमाण थी।
लेकिन उसके पतन का कारण उसका अहंकार और अधर्म बना। माता सीता का हरण और शक्ति का दुरुपयोग उसके लिए विनाश का कारण साबित हुआ।

असली संदेश

दशहरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपने भीतर के "रावण" को जलाना चाहिए।

अहंकार की जगह विनम्रता अपनाएँ।

लालच की जगह संतोष रखें।

क्रोध की जगह शांति का मार्ग चुनें।
यही सच्चे दशहरे का अर्थ है।

👉 इस प्रकार, दशहरा केवल एक त्योहार नहीं बल्कि आत्मचिंतन का दिन है, जो हमें हर साल याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई की जीत निश्चित है।
विजय सारस्वत
आगरा

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