
महिला विश्वविद्यालय 100 वर्ष पूर्व ही सतत विकास के लक्ष्य की और बढ़ चला था-कुलपति प्रो सुदेश
खानपुर कलां -1 अक्टूबर। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर कलां में आज फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं एनवायर्नमेंटल साइंस विभाग द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में लेक्चर सीरीज का आयोजन। हरियाणा स्टेट कौंसिल फॉर साइंस इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी , हरियाणा सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र की बायो केमिस्ट्री विभाग की प्रोफेसर सुमन ढांडा ने छात्राओं को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुदेश उपस्थित रहे वहीं वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी नई दिल्ली के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र प्रसाद पंत में विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत की।
“सतत विकास में आधारभूत विज्ञान की भूमिका” विषय पर बोलते हुए प्रो सुमन ढांडा ने कहा कि सतत विकास का अर्थ है — ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करे, परंतु आने वाली पीढ़ियों के संसाधनों से समझौता न करे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बेसिक विज्ञान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रो ढांडा ने बताया कि विज्ञान की नींव भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, गणित और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषयों पर टिकी है। यही आधारभूत विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रकृति कैसे कार्य करती है — जलवायु परिवर्तन क्यों होता है, ऊर्जा का संरक्षण कैसे किया जाए, या जैव विविधता की रक्षा कैसे की जाए।
आज जब हम जलवायु संकट, प्रदूषण, और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तब वैज्ञानिक सोच और मूलभूत अनुसंधान ही हमें नए समाधान प्रदान कर सकते हैं — जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोत, हरित प्रौद्योगिकी, और सतत कृषि पद्धतियाँ।
इसलिए, हमें न केवल उच्च तकनीक पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि मूल विज्ञान में निवेश और अनुसंधान को प्रोत्साहन देना चाहिए। क्योंकि बिना मजबूत नींव के कोई भी इमारत टिक नहीं सकती, वैसे ही बिना आधारभूत विज्ञान के सतत विकास संभव नहीं।
कुलपति प्रो सुदेश ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में महान भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन जी की उस ऐतिहासिक खोज — रमन प्रभाव — को स्मरण करने का दिन है, जिसके लिए उन्हें सन् 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
यह दिवस केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि का उत्सव नहीं है, बल्कि यह जिज्ञासा, नवाचार और तार्किक सोच की भावना को सम्मानित करने का अवसर है — वही भावना जो विज्ञान की नींव है। कुलपति ने कहा कि विज्ञान केवल एक विषय नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। यह हमें प्रश्न पूछने, प्रयोग करने और नए आयामों की खोज करने की प्रेरणा देता है। कुलपति ने कहा कि बात जहां सतत विकास की आती है तो महिला विश्वविद्यालय लगभग 100 वर्ष पूर्व ही सतत विकास के लक्ष्य की और बढ़ चला था।
इस अवर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो शिवालिक यादव, प्रो सुनील सांगवान , प्रो भूपेंदर सिंह , डॉ आशा दहिया व डॉ शीला मलिक भी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन :- 01 दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ करते कुलपति प्रो सुदेश।