
16 घंटे भूखा रहने से बदल सकती है आपकी ज़िंदगी? जानिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का असरदार तरीका।
Ayurveda info
क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ खाने का समय थोड़ा बदलकर आप अपनी सेहत में बड़ा फर्क ला सकते हैं?
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसा ही तरीका है, जो आजकल बहुत लोग अपना रहे हैं। इसे कोई सख़्त डाइट नहीं, बल्कि एक स्मार्ट खाना खाने की आदत कहा जा सकता है। इसमें आप दिन के कुछ घंटों में ही खाना खाते हैं और बाकी समय शरीर को आराम देते हैं। सबसे लोकप्रिय तरीका है 16:8 - यानी 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाना खाने की अनुमति ।
तरह बिना तनाव के आप इस आदत को अपनाए रख सकते हैं और इसका अधिक लाभ उठा सकते हैं।
फास्टिंग के दौरान हाइड्रेटेड रहना बेहद ज़रूरी होता है। आप पानी तो भरपूर पिएं ही, साथ ही बिना चीनी वाली ब्लैक कॉफी, ग्रीन टी, हर्बल टी या नींबू पानी (बिना शहद या शक्कर) भी पी सकते हैं। इन पेयों से न सिर्फ उपवास नहीं टूटता, बल्कि वे भूख को भी काबू में रखते हैं और एनर्जी बनाए रखते हैं। कोशिश करें कि इन ड्रिंक्स में कैलोरी न हो तभी असली फास्टिंग का असर देखने को मिलेगा।
उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति जो नाइट शिफ्ट में काम करता है, उसने अपने शेड्यूल के हिसाब से इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाया। वह रात 10 बजे के बाद कुछ नहीं खाता और अगली दोपहर 2 बजे के बाद ही पहला भोजन करता है।
उसकी खाने की विंडो दोपहर 2 से रात 10 बजे तक की होती है। शुरू में उसे लगता था कि रात में भूख लगेगी या कमजोरी महसूस होगी, लेकिन कुछ ही दिनों में शरीर इस रूटीन का अभ्यस्त हो गया।
अब उसे न रात में भारीपन महसूस होता है, न ही दिन में थकान। बल्कि उसमें पहले से ज़्यादा ऊर्जा बनी रहती है और वजन भी धीरे-धीरे नियंत्रित होने लगा है।
अगर आप भी कोई जटिल डाइट नहीं अपना सकते या आपकी दिनचर्या अलग है, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग एक सहज और असरदार विकल्प हो सकता है।
बस थोडा धैर्य, अनुशासन और सही जानकारी रखें - और
शुरुआत में थोड़ा कठिन लग सकता है, लेकिन कुछ ही दिनों में शरीर इसकी लय पकड़ लेता है और इसके फायदे खुद महसूस होने लगते हैं।
इससे वजन धीरे-धीरे घटने लगता है, पाचन बेहतर होता है और दिमागी स्पष्टता बढ़ती है।
खास बात ये है कि इसमें आपको ये नहीं बताया जाता कि क्या खाना है, बल्कि सिर्फ ये कि कब खाना है- और यही बात इसे बाकी डाइट्स से अलग और लंबे समय तक टिकाऊ बनाती है।
अगर आप अभी शुरुआत कर रहे हैं, तो सीधे 16 घंटे का उपवास करना मुश्किल लग सकता है। ऐसे में आप पहले 12:12 या 14:10 के फॉर्मेट से शुरुआत कर सकते हैं - यानी 12 या 14 घंटे उपवास और बाकी समय खाना। जब शरीर इसकी आदत बना ले, तब धीरे-धीरे 16:8 की ओर बढ़ें। इस अगर आप भी कोई जटिल डाइट नहीं अपना सकते या आपकी दिनचर्या अलग है, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग एक सहज और असरदार विकल्प हो सकता है।
बस थोड़ा धैर्य, अनुशासन और सही जानकारी रखें - और आप खुद अपने शरीर में फर्क महसूस करेंगे। हालाँकि, अगर आप किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इस तरह की फास्टिंग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें।