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जीवन मे आनंद का रहस्य: कैसे प्राप्त करे

जीवन में आनंद
जीवन को आनंदमय बनाने के लिए व्यक्ति के पास पुरुषार्थ, मनोबल और सही जीवन-दृष्टि होना आवश्यक है। आत्म-दृष्टि ही उसे आंतरिक बल प्रदान करती है। जब व्यक्ति आत्मबल प्राप्त कर लेता है तो वह हर परिस्थिति को आनंद के रूप में स्वीकार करता है।
श्रीमद्भगवद्गीता में समभाव की बात कही गई है—
“सुख-दुःख, हानि-लाभ, जय-पराजय को समान भाव से समझ कर कर्म करते रहना चाहिए।”
प्रभु को समर्पित होकर समभाव रखने वाला व्यक्ति ही सफल होता है और हर पल अपने जीवन में आनंद का अनुभव करता है।
यदि हम आत्म-दृष्टि से सम्यक साधना करें तो जीवन स्वयं एक आनंद है। इस आनंद का अनुभव करने के लिए आत्मिक ज्ञान आवश्यक है और यह ज्ञान गुरु की कृपा से या आत्मचिंतन से प्राप्त किया जा सकता है। गुरु कोई बाहरी व्यक्ति भी हो सकते हैं अथवा हम स्वयं अपनी अंतर्दृष्टि को गुरु बना सकते हैं।
जीवन में संघर्ष अपरिहार्य है—कभी परिस्थितियों से, कभी कमी-बेशी से और कभी अपने ही मन की स्थिति से। संघर्षों के कारण मनुष्य व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों से घिर जाता है। असफलता से टूटना स्वाभाविक है, किंतु यही वह बिंदु है जहाँ सुधार की आवश्यकता होती है। जीवन में हार-जीत दोनों सिक्के के पहलू हैं। भविष्य की असफलता की आशंका से पहले ही दुखी होना सबसे बड़ी हार है।
जीवन को आनंदमय बनाने के लिए व्यक्ति को चाहिए कि हर कर्म निस्संग होकर ईश्वर को अर्पित करे। सफलता और यश अपने आप प्राप्त होंगे। असंभव की सोच और निराशा से बचना आवश्यक है। साथ ही, सफलता मिलने पर भी अहंकार से दूर रहना चाहिए।
ईश्वर आनंदस्वरूप हैं और वही हमें आनंद प्रदान करते हैं। उस आनंद को प्राप्त करना ही जीवन का परम उद्देश्य है। इसलिए हमें ऐसा जीवन जीना चाहिए, जो आशा, आत्मबल और आनंद से परिपूर्ण हो। यही सच्चा जीवन है।जीवन मे आनंद प्राप्त करने का यही सच्चा मार्ग है।

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