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**प्राचार्यों की आईडी से रकम उड़ाने का गोरखधंधा!

खैरलांजी शिक्षा विभाग में करोड़ों का खेल – लेखापाल वरुण देव पर संगीन आरोप**

खैरलांजी (बालाघाट)।
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का ऐसा खुला खेल पहली बार सामने आया है जिसने न केवल शिक्षकों के होश उड़ा दिए हैं बल्कि पूरे जिले की ईमानदारी पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। विकासखंड खैरलांजी में पदस्थ लेखापाल वरुण देव धनवले पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने प्राचार्यों और शिक्षकों की Digiger ID और पासवर्ड का दुरुपयोग कर लाखों रुपये का गबन किया।

“हमारे नाम पर रकम उड़ाई गई” – शिक्षकों का आरोप

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वरुण देव ने सुनियोजित तरीके से आईडी-पासवर्ड हैक कर फर्जी लेन-देन किए। इतना ही नहीं, आत्म सुरक्षा योजना (जुडो-कराटे प्रशिक्षण) के नाम पर भी मोटी रकम का गबन कर दिया।

शिकायत करने वालों में शिक्षक दिलीप नगपुरे, लीला बागड़े, प्रेमलता ऊइके, सुनील पथिक का नाम प्रमुख है। 22 सितंबर को धर्मेंद्र मदरेले, नरेंद्र दड़वड़े समेत अन्य शिक्षकों ने भी पुलिस थाने, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

साइबर सेल जांच की मांग

शिक्षकों ने साफ कहा है कि यह कोई साधारण हेरफेर नहीं बल्कि संगठित डिजिटल फ्रॉड है। इसलिए साइबर सेल से कंप्यूटर की फॉरेंसिक जांच कराई जाए और वरुण देव के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।

प्रशासन की चुप्पी – सबसे बड़ा सवाल

इस मामले का सबसे हैरान करने वाला पहलू यह है कि वरुण देव का नाम पहले भी कई वित्तीय गड़बड़ियों में सामने आ चुका है। स्थानीय अखबारों में बार-बार खबरें छपने के बावजूद विभागीय अफसरों ने हमेशा चुप्पी साधी। नतीजा यह हुआ कि कथित गड़बड़ियां दबती गईं और हौसला बुलंद होता गया।

अब सवाल उठ रहे हैं –
क्या पुलिस-प्रशासन इस बार शिक्षकों की आवाज़ सुनेगा? या फिर यह मामला भी फाइलों के बोझ तले दबकर इतिहास बन जाएगा?
आखिर क्यों बार-बार वरुण देव का नाम सामने आने पर भी कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली जाती है?

शिक्षकों में उबाल – FIR की तैयारी

सूत्रों के अनुसार कुछ शिक्षक अब सीधे FIR दर्ज कराने की रणनीति बना रहे हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो वे सामूहिक रूप से थाने पहुंचकर रिपोर्ट लिखवाएँगे।

खैरलांजी का यह घोटाला सिर्फ शिक्षकों का मुद्दा नहीं…

यह मामला पूरे शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्ट तंत्र की पोल खोल रहा है। जिस विभाग पर बच्चों की नींव मजबूत करने की जिम्मेदारी है, वहीं अब करोड़ों के घोटाले और डिजिटल फ्रॉड की कहानियां लिखी जा रही हैं।

आख़िरी सवाल –
क्या वरुण देव पर शिकंजा कसेगा प्रशासन?
या फिर भ्रष्टाचार की इस गाथा का अगला अध्याय भी “कार्यवाही लंबित है” के नाम से दर्ज हो जाएगा?

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