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डोणगांव में गंदगी का साम्राज्य, ग्राम पंचायत की लापरवाही से जनता बेहाल

ग्राम पंचायत प्रशासन की लापरवाही जनता की जान पर भारी

प्रतिनिधि – डोणगांव

हर बुधवार को डोणगांव का साप्ताहिक बाजार हजारों खरीदारों और विक्रेताओं का केंद्र होता है। लेकिन इस बाजार में दिनों-दिन बढ़ती गंदगी और सड़ते कचरे के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

स्वच्छ भारत अभियान की गूंज तो बहुत है, मगर हकीकत में गांव बदबू और गंदगी से घिरा हुआ है। बाजार का कचरा समय पर नहीं उठाया जाता, जिससे वह सड़कर बीमारियों को न्योता देता है। ऐसी स्थिति में लोगों को सब्ज़ियां, अनाज और दूध जैसी ज़रूरी चीज़ें खरीदनी पड़ रही हैं।

लाखों की आमदनी, लेकिन सफाई पर शून्य खर्च!
साप्ताहिक बाजार से ग्राम पंचायत को लाखों रुपए का राजस्व मिलता है, मगर उसमें से सफाई के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं होता – ऐसा ग्रामीणों का आरोप है। पंचायत अधिनियम 1958 के अनुसार गांव की सार्वजनिक स्वच्छता की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है, लेकिन हालात देखकर साफ़ है कि प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ लिया है।

राजनीतिक नाराज़गी
"नागरिकों से बाजार शुल्क तो वसूला जाता है, मगर बदले में मिलती है सिर्फ गंदगी, बदबू और बीमारियाँ। अगर यही हाल रहा तो हम ज़िलाधिकारी के पास शिकायत दर्ज करेंगे," ऐसा अल्टीमेटम युवा कांग्रेस ने दिया है।

ग्रामवासियों का सवाल
"प्रशासन को पुरस्कारों की इज्जत बचानी है या गाँववालों का स्वास्थ्य? लाखों की आमदनी होने के बावजूद सफाई क्यों नहीं की जा रही?" – यह सवाल आक्रोशित ग्रामवासियों ने उठाया है।

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