
आतंक के ठिकानों पर भारत का सिंदूरी प्रहार...
पाकिस्तान और उसके आतंकी गिरोहों की बौखलाहट
पाकिस्तान और उसके आतंकी गिरोहों की बौखलाहट आज पूरी दुनिया देख रही है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने जिस तरह लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके स्थित मुख्यालय को ध्वस्त किया, उसने न केवल आतंकियों की रीढ़ तोड़ दी बल्कि पाकिस्तान की आतंक-नीति की पोल भी खोल दी। अब हाल यह है कि लश्कर का उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकियाँ देकर अपनी हताशा ज़ाहिर कर रहा है।
यह कैसी विडंबना है कि पाकिस्तान अपनी जनता को भूख, महँगाई और बदहाली से बचाने के बजाय, आज भी आतंकियों के अड्डों को बचाने और उन्हें नई ज़मीन देने में जुटा है। खबरें साफ कहती हैं कि भारत द्वारा मुख्यालय तबाह किए जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने लश्कर को मोटी रकम उपलब्ध कराई, ताकि वह नया ठिकाना खड़ा कर सके। यही नहीं, अब ये आतंकी पूरे पाकिस्तान में खुलेआम चंदा वसूल रहे हैं और सरकार तमाशबीन बनी बैठी है। यह किसी "नरसंहार मशीन" को तेल देने जैसा है।
लश्कर की यह धमकी भारत को नहीं, बल्कि पाकिस्तान की खोखली राजनीति और टूटी हुई व्यवस्था को दिखाती है। जब कोई आतंकी समूह सिंधु जल समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को उठाकर गीदड़भभकी देता है, तो यह उसकी बेबसी और कायरता का प्रतीक है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। आतंक की आड़ में इसे छीनने का ख्वाब देखने वाले खुद खंड-खंड होकर गिरेंगे।
सवाल यह है कि पाकिस्तान आखिर कब तक आतंक को अपना "रणनीतिक हथियार" बनाए रखेगा? बीते दशकों में उसने भारत को अस्थिर करने के लिए जिन आतंकी संगठनों को पाला, वही अब पाकिस्तान के लिए नासूर बन चुके हैं। दुनिया बार-बार पाकिस्तान को आतंक का पालक-मुल्क कहकर कटघरे में खड़ा करती रही है। लश्कर, जैश और हिजबुल जैसे गुट न केवल भारत बल्कि वैश्विक शांति के लिए खतरा हैं।
भारत ने समय पर और सही जवाब दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह संदेश बार-बार दोहराया गया है कि "आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते"। भारत की नीति अब स्पष्ट है – आतंक के हर ठिकाने को जड़ से मिटाना। यह वही भारत है जो अब हमला सहकर चुप नहीं रहता, बल्कि दुश्मन की सरजमीं पर जाकर निर्णायक वार करता है।
दरअसल, पाकिस्तान की जनता को भी यह सोचना होगा कि उनके पसीने की कमाई आतंकियों के चंदे में क्यों बहाई जा रही है? आखिर कब तक आतंक के नाम पर उनकी जिंदगियाँ बदहाल होती रहेंगी?
भारत का संदेश साफ है – जो भी आतंकवाद को जन्म देगा, उसके ठिकानों पर सिंदूरी प्रहार होगा। यह लड़ाई सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि इंसानियत और सभ्यता की रक्षा की लड़ाई है। और इस जंग में भारत कभी पीछे हटने वाला नहीं।