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कर्म का फल हर इंसान को मिलता है।

एक प्रतापी राजा था। पूजा- पाठ, प्रजा ,दीन- दुखियों की सेवा का विशेष ध्यान रखते थे। प्रति दिन 10000 आदमी को मुफ्त में भोजन कराते थे। हर जगह जनता में जय जयकार हो रही थी। सभी की दुआ राजा को मिलता था।राजा अपने आप को प्रतापी राजा समझते थे। बृद्ध के बाद प्रजा को एकत्रित कर राजा कहा अब मैं स्वर्ग में समय बिताना चाहता हूं। अपने पुत्र से जिसे राज्याभिषेक होना था कहा इस परम्परा को कायम रखना। राजा साहेब की मौत हुई। स्वर्ग में लेखा जोखा के बाद उस राजा को नर्क जाने का आदेश धर्म-कर्म के राजा धर्मराज ने दिया।उसपर राजा ने कहा कि महाराज लेखा जोखा में भूल-चूक हुआ होगा।मेरे जैसे प्रतापी राजा को भला नर्क कैसे हो सकता? पुनः खाता बही देखा गया। धर्मराज ने कहा आप प्रत्येक रोज दस हजार कामकाजी हिष्ट पुष्ट आदमी को भोजन कराते थे।उसी के कारण आपको नर्क मिला है।इतने लोगों को बेकामयाब बनाने के जुर्म में मुफ्त में बिना मेहनत के भोजन देकर निकम्मे बनाने के जुर्म में नर्क की सजा मिला है। एक रोज एक साधु उसी राजा के पुत्र के दरवार में रात्रि विश्राम किया। वर्तमान राजा खूब खातिरदारी किया। साधु सिद्ध पुरुष के नाम से जाने जाते थे। राजा ने कहा आप सिद्ध पुरुष हैं मेरे पिता स्वर्ग में कैसे समय बीता रहें हैं जानकारी दीजिए। साधु ने जवाब दिया, आपके पिता और स्वर्ग ! वे तो नर्क में है। राजा गुस्सा में अनाप शनाप साधु को कह दिया। साधु ने कहा तुम खुद पिता से बात कर लो। मुझमें ओ शक्ति है। बात हुई । पिता जी आपके जैसे प्रतापी राजा को नर्क कैसे हुआ ?राजा ने कहा करोड़ों कामयाबी लोगों को निकम्मा और निठल्ले बनाने की जुर्म में नर्क हुआ। तुम भी ये काम बन्द कर जनता को रोजी रोजगार दो , मेहनत से पैसा कमाकर परिवार का पालन पोषण करेगा।यही काम भारत सरकार कर रही है। रोजी रोजगार, नौकरी न देकर मुफ्त में पांच किलो अनाज , उसमें भी कमीशन लेने का काम करती है। उनका लेखा जोखा जब होगा तब नर्क में भी ठेलम ठेल होगा। कर्म का फल मिलेगा। कोई भगवान कर्म को झूठलाने में साथ नहीं देगा। मेहनत की कमाई में स्वाभिमान हैं, मुफ्त का भोजन खाने वाले को भी नर्क होगा। स्वर्ग यदि है तो चीन जापान करम करने वाले को होगा। मुफ्त में खिलाने और खाने वाले को नहीं।
जागेश्वर मोची मधुबनी संवाददाता।

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