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अपनी खुशी अपने हाथ

"खुशियां गर बाजार में मिलती तो धनवान कभी दुःखी ना होता"😅
ये खूबसूरत तस्वीर आप देख रहे हैं चप्पल को मोबाइल बना सेल्फी लेते गाँव के बच्चों की इनकी खुशियां उस आईफोन से सेल्फी लेने वाले से कहीं ऊपर होगी। चार दशक पहले वाला बचपन आनंद से बीता उसका सबसे बड़ा कारण था कि मन बावरा था🤣 जब से मन सयाना हुआ तब से बीपी,शुगर,तनाव,डिप्रेशन से भरी दवाइयों का थैला हाथ मे थम गया।
हमने साधनों को सुख क्या समझा दुःखी हो गए। मैं समझता हूं कि आज से 4 दशक पहले कोई सिरदर्द जानता तक नहीं था।
आज हर घर मे 10 मेसे 7 लोग सिर दर्द का इलाज ले रहे हैं।
इतने साधनों के बाद भी दुःखी🤔
मतलब साफ है कि मन जब से सयाना हुआ हमने होड़ करना शुरू कर डाला। इसी होड़ के चक्कर मे हर महीने EMI माथे पर नागिन डांस करने आ जाती हैं। कई होड़बाज तो ऐसे हैं जिन्होंने नींद बेचकर उनींद खरीद ली है।
इंसान ने तरक्की इतनी कर ली कि बस पूछो ही मत।
तीन से चार दशक पहले डिप्रेशन, स्ट्रेस जैसे शब्द लोग जानते तक नहीं क्योंकि बावले थे🤣🤣
शयाने क्या हुए सारी दवाओं के साल्ट जान गए😅😅

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