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आर्य समाज पाली के अधिवेशन में बोले प्रधान, सत्य का धारण करना ही श्राद्ध है: मगाराम आर्य

सत्य का धारण करना ही श्राद्ध है: मगाराम आर्य।

#घेवरचन्द_आर्य_पाली
पाली सोमवार 15 सितंबर। आर्य समाज प्रधान मगाराम आर्य ने कहां कि सत्य का धारण करना ही श्राद्ध है। अथवा श्रद्धापूर्वक मन में प्रतिष्ठा रखकर, विद्वान, अतिथि, माता- पिता, आचार्य आदि की सेवा करने का नाम श्राद्ध है। श्राद्ध जीवित माता-पिता, आचार्य, गुरु आदि पुरूषों का ही हो सकता है, मृतकों का नहीं। इसलिए किसी भी व्यक्ति को श्राद्ध केवल तीन पिढी तक ही करने का विधान है। वैदिक युग में तो मृतक श्राद्ध का नाम भी नहीं था। वेद तो बड़े स्पष्ट शब्दों में माता-पिता, गुरु और बड़ों की सेवा का आदेश देते है, यथा--
*अनुव्रतः पितुः पुत्रो मात्रा भवतु संमनाः* !
(अथर्ववेद 3/30/2)
पुत्र पिता के अनुकूल कर्म करने वाला और माता के साथ उत्तम मन से व्यवहार करने वाला हो। वे रविवार को आर्य समाज के सप्ताहिक अधिवेशन में श्राद्ध पक्ष के बारे में उपस्थित आर्यों को सम्बोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व आर्य समाज मंत्री विजयराज आर्य के ब्रह्मात्व में आचमन, अंग स्पर्श, ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना और शान्तिकरण मंत्रों से ईश्वर का गुणगान कर देव यज्ञ कर विश्व कल्याण और सबके स्वास्थ्य की मंगलकामना की गई। रिंकू पंवार ने आर्य समाज के नियमों का वाचन किया, जयघोष और शान्ति पाठ के साथ अधिवेशन का समापन हुआ।

इस अवसर पर मगाराम आर्य, धनराज आर्य, गजेन्द्र अरोड़ा, घेवरचन्द आर्य, विजयराज आर्य, पूनमदास वैष्णव, हेमन्त वैष्णव, राहुल कुमार, रीकू पंवार, अनिता बंसल सहित कई जने मौजूद रहे।

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