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प्रेम मानव जीवन का आधार, व्यवहार और आभार है..

जहाँ प्रेम होता है वहाँ परमात्मा भी जीव के बस में हो जाते हैं प्रेम में अद्भुत सामर्थ्य है चाहे केवट के आगे हो, चाहे शबरी के आगे हो, चाहे हनुमानजी के आगे वो, चाहे सुग्रीव के आगे हो या चाहे विभीषण के आगे हो, प्रेम के वशिभूत होकर कितनी ही बार उन प्रभु को झुकते देखा गया है प्रभु प्रेम में झुके हैं इसलिए जो प्रेम स्वयं भगवान को झुका सकता है, वह इंसान को भी अवश्य झुका सकता है !!*

*यदि आप दूसरों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हैं तो आप उनके हृदय पर अपना आधिपत्य भी जमा लेते हैं प्रेम वो शहद है जो संबंधों को मधुर बनाता है मधुर संबंध पारिवारिक खुशहाली को जन्म देते हैं और पारिवारिक खुशहाली ही तो एक सफल एवं आनंदमय जीवन की नींव है !!*

॥ जय जय श्री सीताराम ॥
पण्डित ललित तिवारी की कलम से

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