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हिंदी दिवस के पूर्व संध्या पर विधिज्ञ संघ की ओर से हुआ हिंदी की महत्व एवं व्यापकता विषय पर परिचर्चा

हिंदी दिवस के पूर्व संध्या पर विधिज्ञ संघ की ओर से हिंदी की महत्व एवं व्यापकता विषय पर गोष्ठी सह परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व उपाध्यक्ष जिला विधिक संघ राजकुमार दिवाकर ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया तब से यह अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपना स्थान बना चुका है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवक्ता बिट्ठल नाथ सूर्य ने कहा कि हिंदी की एक अपना ऐतिहासिक पहचान है, जो अमीर खुसरो के समय से आज तक निरंतर सकारात्मक विकास में योगदान देते हुए समाज को भाषाई विविधता को एक बंधन में बांधता है। कार्यक्रम में हिंदी दिवस पर विषय प्रवेश करते हुए अधिवक्ता अनीशचंद्र गांधी ने कहा कि खड़ी हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी के क्षेत्रीय विविधता से निकलकर व्यापक पहचान दिया। जिसे हमेशा याद किया जाएगा। हिंदी के विकास एवं विस्तार में साहित्यकार एवं फिल्म जगत का सामान योगदान है। कार्यक्रम में उपस्थित अधिवक्ताओं ने हिंदी में हस्ताक्षर एवं अधिक से अधिक कार्य करने का संकल्प लिया।

- इनकी रही उपस्थिति
अधिवक्ता राज किशोर ठाकुर, प्रमोद कुमार तिवारी, रंजीत कुमार, आलोक कुमार, भूपेश कुमार सिंह, विनय कुमार केसरी, सुशील कुमार, संजय कुमार पासवान, संजय कुमार भक्त, राजेश रंजन बक्शी, उत्तम कुमार माथुर, शंभू नाथ सिंह, देव कुमार मिश्रा, रमाकांत भारती, संतोष कुमार सिंह, शंभू शरण, बद्रीनाथ ने अपना विचार व्यक्त किए। अंत में रितेश कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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