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"प्रकृति एवम मानव जीवन पर रासायनिक खेती के नुकसान एवं निदान " विषय पर किया संवाद

‘‘प्रकृति एवं मानव जीवन पर रासायनिक खेती के नुकसान एवं निदान‘‘ विषय पर जागरूकता कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामान्जनयेलू व अर्चना चिटनिस ने किया संवाद

रिपोर्टर भगवानदास शाह

बुरहानपुर मध्यप्रदेश। बुरहानपुर में ‘‘ईट राइट-सही तरीके से खाना या स्वस्थ और सुरक्षित भोजन करना‘‘, ‘‘प्रकृति एवं मानव जीवन पर रासायनिक खेती के नुकसान एवं निदान‘‘ विषय पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें तेलगांना के सेन्टर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएसए) के कार्यकारी संचालक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामान्जनयेलू एवं विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने संबोधित कर अपने विचार रखे। इस दौरान किसानों ने संवाद कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यशाला का आयोजन कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम आत्मा बुरहानपुर, सेन्टर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएसए) तेलंगाना एवं सतपुड़ा नेचर फ्रेश के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यशाला में नेपानगर विधायक सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू, महापौर श्रीमती माधुरी अतुल पटेल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष गजानन महाजन, नगर निगमाध्यक्ष श्रीमती अनिता अमर यादव, शाहपुर नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि वीरेन्द्र तिवारी, जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि प्रदीप पाटिल, पूर्व महापौर अतुल पटेल, वरिष्ठ कृषक किशाोर शाह, गुलचंद्रसिंह बर्ने, अमित मिश्रा, किशोर पाटिल, देवानंद पाटिल, दरबार जीतू, समर्थ चिटनिस, चिंतामन महाजन, सुभानसिंह चौैहान, सुनिल वाघे, चिंटू राठौर, दीवाकर सपकाले, देवीदास पाटिल, मनोज दांगुरे, वसंता चौहान, गंगाराम आखारेे, अशोक पाटिल, रामदास पाटिल, आकाश राखुंडे एवं दीपक महाजन सहित जनप्रतिनिधि, चिकित्सक, प्रबुद्धजन, होटल संचालक व कृषकगण उपस्थित रहे।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि सबसे ज्यादा पेस्टीसाईड एवं रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बुरहानपुर जिले में होता है। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनायें रखने के लिए फसल अवशेषों, गोबर का खाद, कम्पोस्ट, जीवामृत, पंचगव्य, जैव उर्वरकों का उपयोग कर मिट्टी में जैविक पदार्थ (अर्गेनिक मेटर) की मात्रा, जैविक कार्बन बढ़ाकर मिट्टी में उपस्थित सुक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि करके फसल उत्पादन में वृद्धि कर सकते है, जिससे किसान भाई हमारे जीवन का आधार मिट्टी को संरक्षित कर सकते है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं इससे उत्पादित (जहर मुक्त) फसलों जैसे अनाज, सब्जी, फल आदि के लिए जिले में स्थान चिन्हाकिंत कर उसमें विक्रेता एवं क्रेता को बाजार उपलब्ध कराया जाए, जिससे किसानों को फसलों का उचित बाजार मूल्य प्राप्त हो सकें और उनकी आमदनी बढ़ाकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकें।
तेलगांना के सेन्टर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएसए) के कार्यकारी संचालक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामान्जनयेलू ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि तेलगांना राज्य पंजाब, हरियाणा के बाद रासायनिक एवं पेस्टीसाईड का उपयोग करने में पूरे भारत में तीसरे स्थान पर था, जो आज 10 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती करके पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया है। मध्यप्रदेश में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि होने का मुख्य कारण फसल पद्धति में परिवर्तन नहीं करना, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा का कम होना, आवश्यकता से अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग मुख्य कारण इनके द्वारा बताया गया। रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति, जीवांश तथा जल धारण क्षमता में कमी होती है, जिससे मिट्टी कठोर एवं बंजर हो जाती है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि इस मुठ्ठीभर मृदा जिससे जन्मा हमारा अस्तित्व, हम इसे सहेजकर रखें, ताकि भोजन, ईंधन और आवास सर्वदा सुलभ रहे, लेकिन इसके दुरूपयोग के साथ ढह जाएगी यह भूमि और अवसान शुरू होगा मानवता का। खेती का आधार मिट्टी है। दुनिया में सबसे कीमती मिट्टी ही है। यदि हम जहरीला खाना नहीं खाएंगे तो किसान भी उसे नहीं उगाएंगे। हमें बुरहानपुर में प्राकृति खेती को मिशन मोड में लेंगे। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि हमनें बुरहानपुर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु पूर्व में भी तेलगांना के सेन्टर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (सीएसए) के कार्यकारी संचालक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामान्जनयेलू का बुरहानपुर के ग्राम धामनगांव में दो बार आगमन हो चुका है, जहां किसानों से लगातार संवाद किया जाता रहा है। कार्यशाला के अंत में आभार कृषि उप संचालक एम.एस. देवके ने माना।

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