
Gen z आंदोलन और नेपाल का भविष्य
Gen z आंदोलन और नेपाल का भविष्य
आज के समय में आंदोलन की प्रकृति बदल चुकी है। नेपाल इसका एक ताज़ा उदाहरण है, जहाँ युवाओं, विशेषकर #Gen_Z ने इंटरनेट मीडिया के सहारे अचानक खड़े किए गए प्रदर्शनों और नारों से राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। यह पीढ़ी उस दौर की है जो मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के बीच बड़ी हुई है। इनके लिए जानकारी छिपी नहीं रहती; भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, राजनीतिक अस्थिरता या नेताओं की नाकामी का कोई मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है और कुछ ही घंटों में सैकड़ों-हज़ारों युवा सड़कों पर उतर आते हैं। यही वजह है कि इन आंदोलनों में संगठन या परंपरागत नेतृत्व की ज़रूरत नहीं दिखती, बल्कि एक हैशटैग, एक वायरल वीडियो या एक भावुक अपील ही आंदोलन को जन्म दे देती है।
नेपाल में युवाओं की यह बेचैनी कहीं-न-कहीं #तख़्ता_पलट की आकांक्षा को भी जन्म देती है। यह पीढ़ी पुराने ढर्रे पर चलने वाले नेताओं से ऊब चुकी है और तेज़ बदलाव चाहती है। वे पारदर्शिता, जवाबदेही और आधुनिक दृष्टिकोण की मांग करते हैं। इनके पीछे सोच यह है कि जिस तेज़ी से उनकी ज़िंदगी और तकनीक बदल रही है, राजनीति भी उसी गति से बदले। यही सोच उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित करती है।
लेकिन यह ऊर्जा जितनी सकारात्मक है, उतनी ही #ख़तरनाक भी हो सकती है। सोशल मीडिया की ताक़त से आंदोलन बहुत जल्दी फैलते हैं, युवा शक्ति एकजुट होती है और सत्ता पर दबाव बनता है। कई बार इन आंदोलनों ने भ्रष्टाचार और अन्याय जैसे मुद्दों को उजागर किया और जनता की आवाज़ को लोकतंत्र में मज़बूती दी। लेकिन दूसरी ओर, यही तेज़ी कभी-कभी अराजकता भी पैदा कर देती है। जैसा नेपाल में देखा गया आंदोलन के बीच ही हिंसा, सरकारी संपतियों में तोड़फोड़, आगजनी, लूट और फिर निजी संपत्तियों की लूट ये आंदोलन की मूल भावना के एकदम विपरीत था। बिना ठोस कार्यक्रम और नेतृत्व के आंदोलन जल्दी बिखर जाते हैं। अफवाहें और फेक न्यूज़ इन्हें ग़लत दिशा में ले जा सकती हैं। इसके अलावा, #तुरंत_नतीजे चाहने की मानसिकता गहरे राजनीतिक और सामाजिक ढाँचों में सुधार की प्रक्रिया को अधूरा छोड़ देती है।
अब सवाल यह है कि नेपाल का यह आंदोलन केवल एक #तख़्ता_पलट साबित होगा या सच में बदलाव ला पाएगा। इतिहास बताता है कि जब भी युवा ऊर्जा को संगठित दिशा नहीं मिलती, तब वह बड़ी ताक़तों द्वारा #इस्तेमाल कर ली जाती है। यह ख़तरा नेपाल में भी मौजूद है कि असली मुद्दे पीछे छूट जाएँ और आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन की कड़ी बनकर रह जाए। लेकिन यदि युवा अपनी भूमिका को गहराई से समझें, ठोस एजेंडा और लंबी रणनीति के साथ आगे बढ़ें, तो यही आंदोलन नई राजनीतिक संस्कृति का जन्म भी दे सकता है।
नेपाल ही नहीं, पूरी दुनिया में यह पैटर्न देखने को मिलता है कि #Gen_Z की ऊर्जा और सोशल मीडिया की पहुँच लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताक़त भी है और उसकी सबसे बड़ी चुनौती भी। यह तय करना युवाओं पर है कि वे अपनी सामूहिक शक्ति को निर्माण के साधन के रूप में इस्तेमाल करेंगे या क्षणिक ग़ुस्से के विस्फोट की तरह, जो बहुत शोर मचाकर अंततः खोखला साबित हो जाता है।
नेपाल का यह आंदोलन सिर्फ अंदरूनी विद्रोह का नतीजा नहीं है इसको बाकायदा फुकनी से तयशुदा फूंक मारकर भड़काया गया है और समय के साथ यह तथ्य बाहर भी आएगा ...