logo

अनंत चतुर्दशी के बाद, सूतक काल में विसर्जन, दरकिनार कोली... भक्त पूछ रहे नाराज हैं लालबागचा राजा?

गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है. मूर्तियों का विसर्जन हर हाल में चतुर्दशी के दिन हो जाना चाहिए, ऐसी मान्यता है, लेकिन लालबाग के राजा के मामले में ऐसा नहीं हुआ
मुंबई के सबसे मशहूर गणपति लालबाग के राजा के विसर्जन को लेकर इस बार विवाद हो गया है. इस बार उनके विसर्जन की प्रक्रिया मुंबई की गिरगांव चौपाटी पर तेरह घंटे की देरी के बाद पूरी हुई. विसर्जन के दौरान कई परंपराएं भी टूटीं, जिससे लालबाग के राजा के भक्त गुस्से में हैं.
अनंत चतुर्दशी यानी कि गणेशोत्सव के दसवें दिन लालबाग के राजा का विसर्जन चौपाटी पर सुबह आठ बजे तक हो जाता है. राजा यहां मध्य मुंबई के लालबाग से करीब 20 घंटे का सफर तय करते हुए पहुंचते हैं. अरब सागर में विसर्जित होने वाले वे सबसे आखिरी गणपति होते हैं. बीते कई दशकों से ये परंपरा बरकरार रही है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.
विसर्जन प्रक्रिया पर सबसे बड़ी आपत्ति धर्मगुरुओं की रही. जिस वक्त राजा की मूर्ति को विसर्जित किया गया. उस वक्त चंद्र ग्रहण का सूतक काल चल रहा था. विसर्जन भी चंद्र ग्रहण शुरू होने के चंद मिनटों पहले ही शुरू हुई. नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीर दास ने विसर्जन प्रक्रिया पर तीखी आपत्ति जताते हुए इसे गलत करार दिया. सूतक काल से ही जब मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और कोई धार्मिक काम नहीं होता, तो ऐसे में विसर्जन करना धार्मिक नियमों के खिलाफ है. हालांकि कुछ लोगों का तर्क है कि प्रतीकात्मक तौर पर विसर्जन तब ही मान लेना चाहिए, जब सुबह के वक्त मूर्ति ने समंदर के पानी को छू लिधार्मिक जानकारों की दूसरी आपत्ति विसर्जन के वक्त को लेकर है. गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है. मूर्तियों का विसर्जन हर हाल में चतुर्दशी के दिन हो जाना चाहिए, ऐसी मान्यता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. विसर्जन चतुर्दशी की अगली तिथि की रात को हुआ, जिसे गलत माना जा रहा है
हर साल बड़ी गणपति प्रतिमाओं में सबसे आखिरी प्रतिमा लालबाग के राजा की होती है और उसी के साथ ये उत्सव समाप्त माना जाता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. लालबाग के राजा के विसर्जन के बाद भी तीन गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ

विसर्जन प्रक्रिया में इस बार हुई गड़बड़ी ने सोशल मीडिया पर खासी चर्चा छेड़ दी है.कई लोगों का कहना है कि ये गणपति बप्पा का अपनी नाराजगी जताने का तरीका था.लालबाग के राजा के पंडाल में जिस तरह से सेलिब्रिटी, राजनेताओं और प्रभावशाली हस्तियों को सिर आंखों पर बिठाया जाता था और आम भक्तों के साथ बदसलूकी की जाती थी, उसी का सबक लालबाग के राजा ने सिखाया है.

58
1428 views