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अवैध हॉस्पिटल को सील करने का सही प्रोसेस

📰 अवैध हॉस्पिटल को सील करने का सही प्रोसेस

सुप्रीम कोर्ट ने तय किए सख़्त नियम, बिना नोटिस सीलिंग अवैध मानी जाएगी

संभल। ज़िले समेत पूरे प्रदेश में जगह-जगह अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स पर कार्रवाई का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। सवाल यह है कि क्या मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) या नोडल अधिकारी सीधे-सीधे किसी अस्पताल को सील कर सकते हैं? इस पर उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइन साफ है कि बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए किसी भी अस्पताल को सील करना अवैध होगा।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने State of Gujarat v. Hon’ble High Court of Gujarat, AIR 2003 SC 638 में स्पष्ट किया था कि:

बिना लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन चल रहे अस्पताल लोगों की ज़िंदगी के लिए ख़तरा हैं और इन्हें बंद किया जा सकता है।

लेकिन कार्रवाई से पहले अस्पताल को नोटिस देकर जवाब का मौका देना ज़रूरी है।

सीलिंग की कार्रवाई के समय मरीजों की सुरक्षा और इलाज की निरंतरता का भी पूरा ध्यान रखना होगा।


प्रक्रिया क्या है?

1. स्वास्थ्य विभाग पहले अस्पताल की जांच करता है।


2. नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाता है।


3. निर्धारित समय में जवाब न मिलने या संतोषजनक उत्तर न होने पर आदेश जारी होता है।


4. इसके बाद प्रशासनिक टीम मौके पर जाकर अस्पताल को सील करती है।


5. सीलिंग की पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी/रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है।



जनता का मौलिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षित और मानक स्वास्थ्य सेवाएँ नागरिकों का मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) हैं। इसलिए अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई राज्य और प्रशासन की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन या नकली कागज़ों पर चल रहा है तो किसी भी नागरिक को शिकायत करने का अधिकार है। जिला प्रशासन और सीएमओ को बाध्य होकर जांच करनी पड़ेगी।

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