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बाढ़ की विभीषिका: मानवता के लिए प्रकृति का संदेश:


पीपल मैन ऑफ इंडिया डॉ रघुराज प्रताप सिंह

आज जब पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर बाढ़ की मार झेल रहे हैं, तब यह केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रकृति की चेतावनी है। उफनती नदियाँ, डूबते गाँव और बेघर होते परिवार हमें यह याद दिला रहे है कि प्रकृति की शक्ति असीमित है और उसके साथ छेड छाड़ असंतुलन का परिणाम पूरी मानवता को भुगतना पड़ सकता है। आज ज़ब चारों तरफ नजर जाती है तो पानी ही पानी नजर आ रहा है ऐसे में बाढ़ केवल पानी का संकट नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली का आईना भी है। पेड़ों की कटाई, नदियों पर अतिक्रमण, बेपरवाह शहरीकरण और जल प्रबंधन की उपेक्षा ने प्राकृतिक आपदाओं को और भी भयावह बना दिया है। यह स्थिति हमें केवल दुखी करने के लिए नहीं आई, बल्कि सोच बदलने और सुधार करने का अवसर भी दे रही है। आज हमें यह महसूस करना चाहिए की आखिर प्रत्येक वर्ष ऐसी स्थिति क्यों आ जाती है क्यों मानवता खतरे में आ जाती है इसका जिम्मेदार कौन है?

नागरिक, जिम्मेदार है? सरकार जिम्मेदार हैं? या हमारे द्वारा तेजी से किया जा रहा विकास जिम्मेदार हैं? या हमारी दिन प्रति दिन की दिनचर्या जिम्मेदार हैं? या हमारी भौतिकवादी सोच, या एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ आखिर जिम्मेदार कौन हैं? कभी खुद से पूछोगें तो शायद आपको सारे जवाब मिल जायेंगे।

इन सभी त्रासदीयों और संकट के जिम्मेदार कोई और नई मानव स्वयं हैं और मानव को अब इन त्रासदीयों से सिख जाना चाहिए की प्रकृति आपको बार बार सुधरने का मौका नहीं देगी अब हमें यह समझना होगा की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ पूरी मानवता को संकट में डाल सकती हैं इस प्रकृति को संरक्षक की भावना के साथ पूरी दुनिया को आगे बढ़ना होगा जिससे सम्पूर्ण मानवता सुरक्षित बनी रहेंगी जिसके लिए हमें कुछ समाधान की दिशा में काम करने की आवश्यकता होंगी।

- सबके लिए सबक
पेड़ और प्रकृति के प्रति सम्मान – आपको पता हैं कि हर पेड़ केवल छाया नहीं देता, बल्कि भविष्य को सुरक्षित करता है।
जल का सम्मान – वर्षा जल संचयन, तालाबों और झीलों का संरक्षण हर समाज की प्राथमिकता हों

नदियों को स्वतंत्र बहने दें – अतिक्रमण हटाकर उन्हें उनका स्वाभाविक मार्ग लौटाना ही स्थायी उपाय है।

सामूहिक जिम्मेदारी – आपदा केवल सरकार की समस्या नहीं, यह हम सबकी साझी जिम्मेदारी है।

विश्व के नागरिकों के लिए मेरा संदेश:-

बाढ़, तूफान और जलवायु परिवर्तन अब किसी एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं रह गई हैं यह पूरी मानवता के लिए साझा संकट बन गई हैं। जब धरती के किसी भी कोने में आपदा आती है, उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। हमें यह समझना होगा कि पृथ्वी एक हैं और हम सब उस पृथ्वी के निवासी तो हमारा कर्तव्य बनता हैं कि जिस पृथ्वी से हमें हमारी जरुरत कि सारी चीजे मिलती हैं जिससे हमारा अस्तित्व हैं क्यों ना हम उसके पालन हार बनकर जीवन यापन करें ताकि प्रकृति सुरक्षित बनी रहे और मानवता हस्ती मुस्कराती रहे और ऐसी आपदाये फिर कभी ना आये मैं आपको बार-बार याद दिला रहा हूँ कि जलवायु परिवर्तन इंतजार नहीं करेगा।
अब हर नागरिक को यह समझना होगा कि प्रकृति की रक्षा करना ही अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है।

आशा और अवसर यह संकट हमें तोड़ने के लिए नहीं आया है, बल्कि हमें जगाने के लिए आया है। अगर आज हम सीखेंगे, तो कल और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और संतुलित धरती बना पाएँगे। बाढ़ केवल त्रासदी नहीं, यह प्रकृति का दिया हुआ सबक है। आइए, हम सब मिलकर इसे सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयास से एक हरित और सुरक्षित विश्व में बदलें और संकट में फंसे अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करें कि वो सुरक्षित और सकुशल संकट से निकल आये मैं विश्व के प्रत्येक नागरिक एवं सरकारों से निवेदन करूंगा कि संकट में फंसे सभी प्रिय जनों को निकालने में उनकी हर संभव मदद करें और प्रकृति से प्रार्थना करें कि हम सबको क्षमा करें और पुनः हम सबको दुनिया खुशहाल करें और मानवता को एक मौका और दे।

लेखक: डॉ रघुराज प्रताप सिंह पर्यावरणविद
संस्थापक रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन
(पीपल मैन ऑफ इंडिया)

रिपोर्ट - पंकज कुमार गुप्ता
जिला - जालौन, उरई
राज्य - उत्तर प्रदेश

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