
संस्कार भारती मयराष्ट्र के तत्वाधान में शिक्षक दिवस पर हुई काव्य संध्या
मेरठ -- संस्कार भारती मयराष्ट्र के तत्वावधान में बाबा मनोहर नाथ मंदिर में शिक्षक दिवस के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में माता नीलिमानंद जी ने अतिथियों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की । भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के महानगर संयोजक कवि मनमोहन भल्ला ने सभी को उक्त आयोजन के लिए साधुवाद प्रेषित किया ।कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत ऋचा सिंह की सरस्वती वंदना से हुई उन्होंने कहा पंथ निहारे नयन पुकारे आओ मां आसान खाली हैं, पुष्प सभी व्याकुल खेलने को इस बगिया की तू माली है। कवि सुदेश यादव दिव्य ने सुनाया सुनाया- जख्में जिगर सभी को दिखाते नहीं है हम, यूं राजदार अपना बनाते नहीं है हम, दुनिया में यूं तो कृष्ण सुदामा भी हैं मगर, हक़ दोस्ती का अपनी निभाते नहीं है हम। कवि राम अवतार त्यागी ने सुनाया- निर्बल को ही मीत लिखूंगा, संस्कृति से ही प्रीत लिखूंगा, जब भी कोई गीत लिखूंगा संस्कारों की जीत लिखूंगा। सुनील शर्मा उमंग जी ने सुनाया- मेरी भारत मां को नमन संसार यह करता है, दुश्मन कोई भी हो मेरे देश से डरता है। डॉक्टर ईश्वर चंद गंभीर जी ने सुनाया- गुरु, शिष्य को ज्ञान दें खींचे यही लगाम, तभी तो बनते हैं यहां कवि और कलाम। नामित गुप्ता मानसी ने सुनाया- समझेगा कौन यहां शिक्षक के दर्द को यूं अर्जुन की क्लास में एकलव्य को गढ़ देता हूं। धर्मेंद्र सरस ने सुनाया- इस कलयुग का कल्याण बस राम तुम ही कर सकते हो। दिव्यांश टंडन ने सुनाया- ना द्वेष है बस खुलासा एक संदेश है, सारे जाति मजहब है पीछे दिल में बसता भारत देश है। कार्यक्रम का संचालन सुनील भारद्वाज ने किया अध्यक्षता डॉक्टर ईश्वर चंद्र गंभीर ने की और माता नीलिमानंद जी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हुआ कार्यक्रम में सुरेश छाबड़ा सुनील शर्मा गायत्री शर्मा मुक्त चौधरी आदि का सहयोग रहा, धर्मपालआर्य, प्रतीक गुप्ता, प्रदीप भट्ट आदि ने भी कविता पाठ किया।