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वित्तीय उन्मुखीकरण या "धमकी शो"? बीआरसी ऑफिस में तीन दिन चला हंगामा

मुकेश घोड़ेसवार की कलम से
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खैरलांजी।
बीआरसी कार्यालय खैरलांजी में 1 से 3 सितंबर तक हुआ "वित्तीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम" अब चर्चा का विषय बन गया है। प्रशिक्षण के नाम पर आयोजित यह तीन दिवसीय कार्यक्रम प्रधान पाठकों के लिए ज्ञान का मंच कम और धमकी शो ज़्यादा साबित हुआ।

प्रधान पाठकों का आरोप है कि लेखापाल वरुण देव ने प्रशिक्षण के दौरान सिखाने से ज्यादा समय डराने और धमकाने में लगाया। इतना ही नहीं, एसएमसी अध्यक्षों को भी प्रधान पाठकों के खिलाफ भड़काने की बात सामने आ रही है।

प्रधान पाठक लेखराम मंदरेले (प्रा.शा. डोंगरिया) और दिलीप कुमार नगपुरे (एकीकृत मा.शा. भोरगढ़) ने खुलकर कहा कि लेखापाल द्वारा जांच में फंसाने की धमकी दी जा रही है। आरोप यह भी है कि डिजिगव ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म पर हुई शिकायतों से बौखलाए लेखापाल ने विभाग की नज़रों में अपनी छवि सुधारने के लिए यह ट्रेनिंग करवाई।

लेकिन हकीकत में यह प्रशिक्षण प्रधान पाठकों के लिए “वित्तीय टेंशन ओरिएंटेशन प्रोग्राम” बनकर रह गया।
👉 आईडी और पासवर्ड की जानकारी देने की बजाय उल्टे-सीधे सवाल पूछकर धमकाना,
👉 वित्त के नाम पर जांच का डर दिखाना,
👉 और खुद को "वित्त प्रमुख अधिकारी" बताकर दबाव बनाना – यही पूरे प्रशिक्षण की असली झलक रही।

प्रधान पाठकों का कहना है कि यह सब देखकर अब उन्हें हर वक्त डर सता रहा है कि कहीं कभी भी किसी जांच के नाम पर फंसाया न जाए।

लेखापाल का जवाब
वरुण देव का कहना है –
"अगर मैंने किसी को धमकाया है तो वे शिकायत करें। जब सभी को धमकाया जा रहा है तो सिर्फ दो ही प्रधान पाठक क्यों सामने आ रहे हैं?"

📌 नतीजा:
तीन दिन का प्रशिक्षण अब प्रशासन के लिए मनोरंजन से ज्यादा सिरदर्द बन गया है। प्रधान पाठकों का गुस्सा और लेखापाल की दबंगई – दोनों मिलकर अब इस प्रकरण को खतरनाक मोड़ दे सकते हैं। यदि समय रहते उच्चाधिकारी ध्यान नहीं देंगे तो मामला बड़ा हंगामा खड़ा कर सकता है।

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