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ईद मिलाद उन नबी

ईद मिलाद उन नबी

क़ुरान ए पाक में अल्लाह ﷻ फ़रमाता है:


‎فَكَيْفَ إِذَا جِئْنَا مِنْ كُلِّ أُمَّةٍ بِشَهِيدٍ وَجِئْنَا بِكَ عَلَىٰ هَٰؤُلَاءِ شَهِيدًا

अनुवाद: " भला उस वक्त क्या हाल होगा जब हम हर गिरोह के गवाह तलब करेंगे और (मोहम्मद ﷺ) तुमको उन सब पर गवाह की हैसियत में तलब करेंगे “ सूरह 4: अन-निसा, आयत 41)।

इस आयत में, अल्लाह ﷻ फ़रमाता है कि हर दौर के पैगंबर अपनी उम्मत के लिए गवाह होंगे, लेकिन अल्लाह ﷻ अपने प्यारे रसूल ﷺ को उन सभी पर गवाह के रूप में लाएगा। इसका मतलब है की हमारे प्यारे रसूल ﷺ पहले से भी हर उम्मत के गवाह थे, और अपनी उम्मत के लिए भी गवाह होंगे।

हम जानते हैं कि शैतान शुरुआत से ही आसपास रहा है और इन्सान को गुमराह करने के लिए अंत तक मौजूद रहेगा। तो अल्लाह ﷻ ने हमारे रसूल ﷺ को इंसानियत को बचाने के लिए भेजा क्यूँकि हमारे रसूल ﷺ पूरी कायनात के लिए नेमत हैं।

यह दिन हमारे लिए बेहद ख़ुशी का दिन है क्यूँ कि अल्लाह ﷻ ने अपने फज़ल ओ करम से अपने महबूब को पैदा फ़रमा के अल्लाह ‎ﷻ का दरवाज़ा खोल दिया (बाब-उल-अल्लाह) । यह दिन हमारे लिए अपने प्यारे पैगंबर मुहम्मद ﷺ के साथ निकटता प्राप्त करने का एक साधन हो।

दुआ:

इश्क दे महबूब का हम को या इलाहुल आलमीन,
साय्यिदा मासूमा हज़रत फातिमा अज़ ज़ाहरा के वास्ते।

सिलसिला-ए-आलिया ख़ुशहालिया !!

(संदर्भ: क़ाज़ी ज़ुलक़ादिर सिद्दीक़ी द्वारा क़ाज़ी अहमद बशीरुद्दीन फारूक़ी की जीवनी, पृष्ठ 106-107)
Lucknow.

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