
Meerut: बारिश ने तोड़ा 20 साल का रिकॉर्ड, आबादी में घुसी गंगा, राशन की कमी होने पर लोगों ने छोड़ा गांव
कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा अब गांवों में बह रही है। आधे से अधिक बस्तौरा नारंग गांव खाली हो चुका है। पशुओं का चारा भी खराब होने से वह भूखे मर रहे हैं। बृहस्पतिवार को भी बारिश होने के आसार हैं। बारिश लोगों पर मुसीबत बनकर बरस रही है। बुधवार को दिनभर हुई बारिश ने 20 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। एक जून से तीन सितंबर तक मेरठ में सामान्य से 52 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। कस्बा हर्रा के वार्ड 10 में बुधवार दोपहर सोनू का तीन साल का बेटा सादिक बारिश में खेलते समय नाले में गिरकर बह गया और तलाश के बावजूद उसका पता नहीं चल सका। बारिश के कारण खादर क्षेत्र के गांव के लोग घर छोड़ने को विवश हो गए हैं।तेज बारिश और बाढ़ के कारण पहाड़ों से निकल कर गंगा मैदानी इलाकों के आबादी क्षेत्र में बहने लगी है। हस्तिनापुर क्षेत्र के बस्तौरा नारंग गांव की करीब 100 एकड़ से ज्यादा भूमि में खड़ी फसलें पानी के बहाव से तबाह हो चुकी हैं। इसके अलावा गांव दुधली, मखदूमपुर में भी गंगा नदी प्रवेश कर गई है। यहां गंगा का पानी आबादी में कम है लेकिन मुख्य सड़क व खेतों में घुस चुका है। इससे तीनों गांवों में जनजीवन प्रभावित हो गया है। भयभीत ग्रामीणों ने मंगलवार को जागते हुए रात काटी और बुधवार दिन निकलते ही सुरक्षित ठिकाने की ओर निकल पड़े।गंगा के पानी के कारण कई गांव में पशुओं का चारा खराब हो गया। बाढ़ के बीच फंसे गांव के कई ग्रामीणों का राशन खत्म हो गया है। पिछले तीन दिनों से गांव के संपर्क मार्ग पर पानी होने से आवागमन नहीं हो पा रहा है। गंगा नदी के लगातार कटान के बाद बस्तौरा नारंग गांव के ग्रामीण पूरी तरह सहमे हुए हैं। गंगा गांव के करीब पहुंच चुकी है। बुधवार को जल स्तर बढ़ने के बाद कटान तो कम हो गया परंतु बस्तौरा नारंग, दुधली, मखदूमपुर आदि गावों की आबादी तक पानी पहुंच गया इससे ग्रामीण पूरी तरह दहशत में आ गए। बस्तौरा नारंग गांव के ग्रामीणों ने गंगा को गांव के नजदीक आता देख सुरक्षित ठिकानों पर जाना शुरू कर दिया है। बुधवार को गांव में मौजूद सभी बच्चों और बुजुर्गों सहित पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कार्य सुबह से देर शाम तक चलता रहा।बस्तौरा नारंग गांव के संपर्क मार्ग पर भी गंगा का पानी बढ़ता जा रहा है। यहां ग्रामीण चारों ओर से पानी से घिर गए हैं। यहां पर ग्रामीण अपने ट्रैक्टर ट्राली में घर में रखा अनाज कपड़ा आदि जरूरी सामानों को बाहर निकलते हुए देखे गए। यहां गंगा नदी गांव से मात्र डेढ़ एकड़ की दूरी से बह रही है। इसी एरिया में इस वक्त सबसे ज्यादा भूमि कटाव हो रहा है। पिछले साल भी सिंचाई विभाग की ओर से कटान को रोकने के लिए प्रबंध नहीं किए गए थे। इससे गंगा भूमि कटाव करते हुए गांव की तरफ बढ़ रही है। ग्रामीण राजू चौहान ने बताया कि हर साल गंगा के बहाव से भूमि कटाव होता है लेकिन प्रशासन देरी से जागता है। उन्होंने बताया कि अब गंगा से गांव का बचना संभव नहीं है इसलिए वह अपना सब कुछ छोड़कर यहां से निकल रहे हैं। बिजनौर बैराज पर तैनात अवर अभियंता पीयूष कुमार ने बताया कि शाम पांच बजे गंगा का जलस्तर दो लाख क्यूसेक था।
हस्तिनापुर देहात क्षेत्र में खेत में भरे पानी पर नाव चलाकर फसल का जायजा लेता किसान। -