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पत्र सूचना शाखा (मुख्यमंत्री सूचना परिसर) सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 दीनू मिश्रा पत्रकार जिला बहराइच

पत्र सूचना शाखा
(मुख्यमंत्री सूचना परिसर)
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0

मुख्यमंत्री ने सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के स्थान पर
उ0प्र0 में नया कानून लागू किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया

सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण
तथा उनकी संपत्तियों के पारदर्शी प्रबन्धन को सुदृढ़ करने के लिए
युगानुकूल और व्यावहारिक प्राविधान किए जाने चाहिए : मुख्यमंत्री

कुत्सित मानसिकता के चलते संस्थाओं की सम्पत्तियों की
मनमानी बिक्री रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए

सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन की ओर से संस्थाओं
के आन्तरिक कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप होना चाहिए

लखनऊ : 01 सितम्बर, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के स्थान पर उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण तथा उनकी संपत्तियों के पारदर्शी प्रबन्धन को सुदृढ़ करने के लिए युगानुकूल और व्यावहारिक प्राविधान किए जाने चाहिए। वर्तमान अधिनियम में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने, निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के निरस्तीकरण व विघटन, सम्पत्ति के सुरक्षित प्रबन्धन, सदस्यता, प्रबन्धन और चुनाव सम्बन्धी विवादों के समयबद्ध निस्तारण के स्पष्ट प्राविधानों का अभाव है। इसी प्रकार, वित्तीय अनुशासन के लिए ऑडिट, निधियों के दुरुपयोग पर नियन्त्रण से सम्बन्धित पर्याप्त नियम नहीं हैं। ऐसे में आवश्यक है कि व्यावहारिकता का ध्यान रखते हुए युगानुकूल सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम लागू किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अधनियम में ऐसे प्राविधान किए जाने चाहिए, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और सदस्य हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। ट्रस्ट हो या सोसाइटी, कुछ लोगों की कुत्सित मानसिकता के चलते संस्थाओं की सम्पत्तियों की मनमानी बिक्री रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए।
विवाद की स्थिति में प्रशासक नियुक्त किये जाने को अनुपयुक्त बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संस्था कैसे संचालित होगी, यह प्रबन्ध समिति ही तय करे। सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन की ओर से संस्थाओं के आन्तरिक कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं, जिनकी गतिविधियां शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, ग्रामीण विकास, उद्योग, खेल आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं। इसलिए उनके संचालन, सदस्यता, चुनाव और वित्तीय अनुशासन से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है। निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के विघटन, निरस्तीकरण और सम्पत्ति के सुरक्षित प्रबन्धन के लिए अधिनियम में ठोस प्राविधान होना चाहिए। सदस्यता विवाद, प्रबन्धन समिति में मतभेद, वित्तीय अनियमितताओं तथा चुनाव सम्बन्धी विवादों के त्वरित व समयबद्ध निस्तारण की व्यवस्था की जानी उचित होगी।
मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा कि पंजीकरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन, के0वाई0सी0 आधारित और समयबद्ध होनी चाहिए। वित्तीय लेन-देन की जवाबदेही तथा लेखा-परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
नए कानून को यथाशीघ्र तैयार करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी आवश्यक प्राविधान इस प्रकार तैयार किए जाएं, जिससे प्रदेश की पंजीकृत संस्थाएं समाजोपयोगी कार्यों को और प्रभावी ढंग से सम्पादित कर सकें तथा पारदर्शिता और सुशासन की भावना को आगे बढ़ा सकें।
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