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"हम दो हमारे दो" दो बच्चे हैं मीठी खीर, उससे ज्यादा बवासीर।"

"हम दो हमारे दो"

दो बच्चे हैं मीठी खीर, उससे ज्यादा बवासीर।"

"जब शादी होगी, बच्चे होंगे और 20 हजार में घर चलाना पड़ेगा, तब आप भी शराबी बन जाएंगे। दो बच्चे हैं मीठी खीर, उससे ज्यादा बवासीर।"
ये पंचायत सीजन 1, एपिसोड 8 का मशहूर डायलॉग है, जो विकास (चंदन रॉय) अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) से कहता है। ये लाइन परिवार और जिम्मेदारियों की चुनौतियों को मजेदार अंदाज में बयान करती है।

Satish Kumar Singh
Uttar Pradesh


उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों पर रोक लगाने का प्रस्ताव समय-समय पर चर्चा में रहा है। यह नीति जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाई गई थी। हालांकि, इस नियम को लागू करने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और यह विभिन्न स्तरों पर विचाराधीन रही है।
मुख्य बिंदु:
प्रस्तावित नीति:
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2020-2021 में पंचायत चुनावों में उम्मीदवारों के लिए दो से अधिक बच्चों पर प्रतिबंध लगाने की संभावना पर विचार किया था। यह नियम ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत चुनावों पर लागू होने की बात थी।
केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान और पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस नीति का समर्थन किया था, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में पत्र भी लिखा गया था।
इस नीति का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करना था, जैसा कि कुछ अन्य राज्यों जैसे उत्तराखंड, हरियाणा, और राजस्थान में पहले से लागू है।
वर्तमान स्थिति:
इस नीति को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश पंचायती राज एक्ट में संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कैबिनेट प्रस्ताव और विधानसभा में विधेयक पेश करना जरूरी है।
2020 में कोविड-19 महामारी के कारण पंचायत चुनाव टल गए थे, और इस नीति को लागू करने की प्रक्रिया में देरी हुई।
कुछ समाचारों के अनुसार, यह नीति अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुई है, और यह सुझाव के स्तर पर ही रही है।
अन्य राज्यों का उदाहरण:
उत्तराखंड: उत्तराखंड में दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों पर पंचायत चुनाव लड़ने की रोक थी, लेकिन हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2019 को कट-ऑफ तारीख तय की। इस तारीख से पहले तीन या अधिक बच्चे वाले लोग चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन इसके बाद वाले अयोग्य हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात: इन राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले लोग पंचायत और नगरपालिका चुनाव नहीं लड़ सकते।
आंध्र प्रदेश: वहां उल्टा नियम है, जहां दो से अधिक बच्चों वाले ही सरपंच या स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकते हैं।
विवाद और चुनौतियां:
इस नीति पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं, क्योंकि इसे लागू करने के लिए बड़े कानूनी और सामाजिक बदलावों की जरूरत है।
उत्तराखंड में इस नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां यह तर्क दिया गया कि इसे लागू करने के लिए 300 दिन का ग्रेस पीरियड देना चाहिए था।
आलोचकों का कहना है कि ऐसी नीतियों से जनसंख्या नियंत्रण पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, जैसा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों में देखा गया, जहां जनसंख्या वृद्धि दर में कमी नहीं आई।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव:
उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने 2021 में "दो बच्चों की नीति" का मसौदा तैयार किया था, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों को सरकारी योजनाओं, नौकरियों, और पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित करने का प्रस्ताव था।
विपक्षी दलों, जैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, ने इसे चुनावी मुद्दा भटकाने की रणनीति बताया।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसी नीतियां सामान्य जनता की प्रजनन दर को प्रभावित करती हैं, लेकिन उच्च जाति के परिवारों में लिंग चयन (sex-selective behavior) को बढ़ा सकती हैं।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों पर पंचायत चुनाव लड़ने की रोक अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हुई है। यह प्रस्ताव चर्चा में रहा है, लेकिन इसे लागू करने के लिए कानूनी संशोधन और व्यापक सहमति की आवश्यकता है।

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