
अपने कड़वे प्रवचनों के माध्यम से जीवन जीने का मधुर संदेश देने वाले महान संत, परम श्रद्धेय जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन🙏
उनका तप, त्याग और अमूल्य उपदेश युगों-युगों तक मानवता का मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनके प्रेरक विचार हम सभी को धर्म, सत्य और करुणा के पथ पर चलने की निरंतर प्रेरणा देते रहें
आज क्रांतिकारी तरुण सागर जैन मुनियों की पुण्यस्मृति..🙏
26 जून 1967 को मध्यप्रदेश के दाहोह ज़िले में पवन कुमार जैन का जन्म हुआ। सन् 1981 में मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने दीक्षा ली। 20 वर्ष की उम्र में आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज से संन्यासत्व स्वीकार किया। आगे चलकर अपने कटु प्रवचनों के माध्यम से समाज परिवर्तन में सक्रिय रहे।
तरुण सागर जी के वचनों को कड़वी गोली कहा जाता है। राजनीति पर भी उन्होंने बेबाक विचार रखे। वे कहते थे—
"आज संत और मुनि साधारण जनता के बीच प्रवचन करने के बजाय, लोकसभा और विधानसभाओं में प्रवचन करें। क्योंकि ख़तरनाक लोग वहीं बैठे हैं। देश और प्रदेश की राजधानियों में बैठे लगभग 10 हज़ार लोग सुधर जाएं तो देश के 100 करोड़ लोग स्वयं ही रातोंरात सुधर जाएंगे—इस बात का मुझे विश्वास है।"
26 अगस्त 2016 को हरियाणा विधानसभा में मुनिश्री ने "राजकारण में सामाजिक धर्म" विषय पर लगभग 40 मिनट प्रवचन दिया था।
जैन धर्म की परंपरा के अनुसार उन्होंने सल्लेखना स्वीकार की और जिनैक्य हुए।
मुनिधर्म को पूर्ण कर, ज्ञान की दीपशिखा प्रज्वलित कर जाने वाले तरुण सागर मुनिश्री को कोटि-कोटि नमन…🙏🙏